नई दिल्ली: ट्रिपल तलाक मामले पर आज भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई. सुनावाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. इससे पहले आज याचिकाकर्ता की तरफ से पेश महिला वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा मैं क़ुरान मे विश्वास करती हूं. धर्म सीधे भगवान से जोड़ता है न की निकाह, उन्होंने कहा कि निकाह दो लोगों के बीच होता है.
सुप्रीम कोर्ट में तर्क रखा गया कि लोग भगवान राम को उनके आदर्शों के लिए मानते है न की इस लिए कि वो सीता जी के पति थे. मोहम्मद साहब ने 11 शादियां की थी तो उसे इस्लाम का हिस्सा क्यों नहीं माना जाता?
याचिकाकर्ता की वकील ने ये भी दलील दी कि लोग ये क्यों नहीं समझते है कि हम महिलाये है. एक फतवे का जिक्र करते उन्होंने कहा कि कि हलाला और कुछ नहीं है केवल शारिरिक भूख मिटाने का एक तरीका है.
शायरा बानो की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अनिल सिंह चड्ढï ने कहा कि अगर निकाहनामे में इस शर्त को जोड़ भी दिया जाता है कि महिला को भी हक होगा की वो ट्रिपल तलाक दे सके तो उसे लागू कैसे करेंगे? क्योंकि अगर किसी शादीशुदा मुस्लिम महिला को तलाक चाहिए होगा तो उसे 1939 के बने कानून के तहत कोर्ट जाना होगा तभी उसे तलाक मिल सकेगा.
अनिल सिंह चड्ढा ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी ट्रिपल तलाक को बुरा माना है. अगर ऐसा है तो वो आर्टिकल 25 यानी धार्मिक स्वतंत्रता की आजादी से बाहर हो जाता है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि ट्रिपल तलाक को धार्मिक मान्यता की जगह समानता के अधिकार के तहत देखा जाये.
भारतीय मुस्लिम महिला बोर्ड की तरफ से आनंद ग्रोवर ने कहा ट्रिपल तलाक के खिलाफ ज्यादातर लोग है. बहुत कम है जो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है. लोग चाहते है कि ट्रिपल तलाक खत्म हो.