गतिशील गुजरात की बाते करके विकास का ढिंढोरा पीटने वाले गुजरात में इन दिनों पीने के पानी की किल्लत को लेकर लोग काफी परेशान हैं
अरवली: गतिशील गुजरात की बाते करके विकास का ढिंढोरा पीटने वाले गुजरात में इन दिनों पीने के पानी की किल्लत को लेकर लोग काफी परेशान हैं. गुजरात के अरवली जिले के धनसुरा तहसील के 10 गांव के लोग पीने के पानी के लिए बूंद-बूंद को तरस रहे हैं. इस इलाके में पिछले एक महीने से पानी के लिए गांव की महिलाओं को करीब 3 से 4 किलोमीटर दूर पैदल चलकर अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है.
लोग अपना गुस्सा निकालने के लिए डैंडपंप पर मटके फोड़ कर विरोध जता रहे हैं. धनसुरा तहसील की में अभी गर्मी का पारा 42 डिग्री के पार हो रहा है. तभी गर्मियों के दिनो में ही पीने के पानी की प्राथमिक और मुख्य जरूरत होती है. बाताया जा रहा है कि यहां पीने के पानी की समस्या पिछले 7 साल से है.
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10 गांवों की महिलाओं को पीने के पानी के लिए तीन से चार किलोमीटर दूर जाना सबसे बड़ी मुश्किल है. गावों के कुएं, तालाब, बोरवेल सब सूखे पड़े हैं, सभी गावों के लोग खेती और पशुपालन का व्यवसाय करके जीवन का गुजरा करते हैं. पानी के लिए पशु भी तरस रहे हैं. इस समस्या को लेकर लोगो ने कई बार प्रशासन में गुहार लगायी लेकिन किसी की नहीं सुनी गई.
इन सभी गांवों के बिच एक मात्रा हैंडपंप है जो चालू अवस्था में है, हैंडपंप पर सुबह 5 से रात 8 बजे तक पानी के लिए लंबी कतार लगी रहती है. गांव के स्मिता सोनी ने ने बताया कि धामनिया गांव के पास बरनॉली पानी पुरवठा जूथ योजना से पाईप लाईन बिछाकर पानी की किल्लत दूर की जा सकती है.
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सरकारी महकमा केवल बाते बनाकर गांव की समस्या को दरकिनार कर देता है. गौरतलब है कि सबसे ज्यादा महिला सशक्तिकरण की बाते गुजरात में ही होती हैं और इसी राज्य की महिलाओं को पीने का पानी लेने के लिये कई किलोमीटर तक पैदल अपने छोटे छोटे मासूम बच्चो को साथ लेकर जाना पड़ रहा है. गांव वालों की इस समस्या से निजात पाने के लिए न तो प्रशासन आगे आ रहा है और न ही कोई नेता.