Chief Justice Ranjan Gogoi and Justice Lokur Evades: 12 जनवरी को पारित हुए कॉलेजियम बिल की सूचना नहीं दिए जाने के कारण जस्टिस लोकुर नाखुश हैं. एक कार्यक्रम के संबोधन के दौरान उन्होंने अपना दर्द बयां किया.
नई दिल्ली: जस्टिस एमबी(मदन) लोकुर को एक समय चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपना दाहिना बताया था लेकिन गुरवार को जस्टिस लोकुर ने अयोध्या विवाद और सीबीआई जैसे मुद्दों पर खुद को खीचने से इंकार कर दिया है.एक कार्यक्रम में संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कॉलेजियम सिस्टम पर अपनी बात रखी. गोकुर ने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम का प्रस्ताव पारित करने के फैसले की जानकारी मुझे नहीं दी गई. मैं इस बात से निराश हूं कि 12 दिसंबर को पारित किये गए फैसले को क्यों नहीं सार्वजनिक किया. हांलाकि उन्होंने कहा कि ऐसा क्यों नहीं किया गया इससे मेरा कोई लेना देना नहीं है.
जस्टिस लोकुर सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों की कमेटी में से एक हैं. जस्टिस एमबी लोकुर ने वर्तमान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के साथ मिलकर पूर्व मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ 12 जनवरी 2018 को प्रेस कांफ्रेंस किया था. गोकुर के इस कदम से सप्रीम कोर्ट के जजो के बीच की लड़ाई सार्वजनिक रूप से जनता के सामने आ गई थी. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश के खिलाफ की गई यह प्रेस कांफ्रेस भारतीय इतिहास की पहली ऐसी घटना थी. इस घटना की वजह से सुप्रीम कोर्ट की खूब किरकिरी हुई थी. गुरुवार को एक कार्यक्रम में संबोधन के दौरान गोकुर ने वर्तमान चीफ जस्टिस गोगोई पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें पूर्व सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा केस का जिक्र किया
जस्टिस लोकुर ने आयोध्या राममंदिर विवाद और राफेल डील में की सुनवाई में शामिल होने के लिए भी जस्टिस गोगोई पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर आप सीबीआई डॉयरेक्टर की सुनवाई नहीं कर सकते हैं तो आप को आयोध्या जैसे मामलों की भी सुनवाई करने का अधिकार नहीं है.