गिलगित : रविवार से बीजिंग में चीन का सबसे महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) को लेकर तीन दिवसिय समिट की शुरुआत हो चुकी है. इस समिट के शुरू होने के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सीपीईसी (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे) के निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन का दौर तेज हो चुका है.
गिलगित-बाल्टिस्तान में सैंकड़ों लोग सीपीईसी के निर्माण के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. इस सम्मेलन में पाकिस्तान सहित 23 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया है.
इस विरोध प्रदर्शन में गिलगित, हुंजा, स्कर्दू और गीजर में कोराकोरम स्टूडेंट्स आर्गनाइजेशन, बलावरिस्तान नैशनल स्टूडेंट्स आर्गनाइजेशन, गिलगित बाल्टिस्तान यूनाइटेड मूवमेंट के तमाम छात्र और राजनीतिक संगठन शामिल हैं. प्रदर्शनकारी सीपीईसी प्रॉजेक्ट को गिलगित पर अवैध कब्जे की कोशिश बता रहे हैं. उनके अनुसार ये एक गुलामी की सड़क है.
प्रदर्शन में वह चीनी साम्राज्यवाद बंद हो के पोस्टर को हाथ में लेकर विरोध कर रहे हैं. बता दें कि सीपीईसी चीन के वन बेल्ट वन रोड प्रॉजेक्ट का एक अहम हिस्सा है. गौरतलब है कि काफी समय से इस मुद्दे पर बलूच नेता भी अपना विरोध करते रहे हैं. बलूच रिपब्लिकन पार्टी के नेता अशरफ शेरजन ने कहा था कि मैं ओबीआर से जुड़ने वाले देशों से सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि कोई भी ठोस कदम उठाने से पहले वह बलूचिस्तान की स्थिति को ध्यान में जरूर रखें.
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि 1948-49 से ही गिलगित एक विवादित क्षेत्र रहा है और ऐसे में चीन सीपीईसी के बहाने पाकिस्तान में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने में लगा हुआ है. तमाम राजनीतिक और मानवाधिकार संगठन गिलगित-बाल्टिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चिंताएं जाहिर कर चुके हैं.
बता दें कि ओबीओआर लगभग 1,400 अरब डॉलर की परियोजना है. चीन को उम्मीद है कि उसका यह ड्रीम प्रोजेक्ट 2049 तक पूरा हो जाएगा. 2014 में आई रेनमिन यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि नई सिल्क रोड परियोजना करीब 35 वर्ष में यानी 2049 तक पूरी होंगी.