नई दिल्ली : तीन तलाक के मामले में आज फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. आज केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा. केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर कोर्ट तीन तलाक को खत्म करने का फैसला करती है, तो सरकार इसके लिए कानून बनाएगी. इस दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने संवैधानिक बेंच से कहा कि तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के मानवाधिकारों के खिलाफ है.
सुप्रीम कोर्ट बहुविवाह और हलाला पर भी सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा कि इनदोनों मुद्दों को हम लंबित रखते है. संवैधानिक पीठ ने कहा कि इस संवैधानिक पीठ के पास लिमिटेड समय है इस लिए हम केवल तलाक़ पर सुनवाई करेंगे. लेकिन बाद में दोनों मसलों पर भी सुनवाई होगी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि संवैधानिक पीठ के समक्ष तीनों मुद्दे लंबित है ऐसे में सुनवाई सभी पर की जाये.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ज्यादातर इस्लामिक देश रिफॉम की तरफ बढ़ रहे है लेकिन सेक्युलर देश में ऐसा नहीं हो रहा है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कई मुस्लिम देशों का उदाहरण दी हुए कहा कि जहाँ एक बार ट्रिपल तलाक़ पर रोक है. केंद्र सरकार ने कहाँ की कई मुस्लिम देशों में तलाक के के लिए सिविल कोर्ट है. केंद्र सरकार ने पाकिस्तान ने भी इस मामले में रिफार्म किया है.
केंद्र सरकार ने कहा कि इन देशों में तीन महीनों का फेज़ है. एक बार में ट्रिपल तलाक़ नहीं दिया था. केंद्र सरकार ने कहा तलाक़ जल्दबाजी में नहीं दिया जाता. यहाँ तक की मुस्लिम देशों में अगर बार एक बार में ट्रिपल तलाक़ बोलते भी है तो उसे एक बार माना जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 6 दिन तक सुनवाई करेगा. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे से जुड़े हर पहलू पर विचार करेगा. कोर्ट ने ये तय किया है इन 6 दिनों की सुनवाई में 2 दिन मामले पर विपक्षी बोलेंगे जबकि 2 दिन समर्थक अपना पक्ष रखेंगे. कोर्ट मुस्लिम मर्दों को एक से ज्यादा शादी करने के मसले पर सुनवाई नहीं करेगा. सुनवाई सुबह 10.30 बजे शुरू होगी.
शुक्रवार को वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा था कि कि मेरी निजी राय में ट्रिपल तलाक पाप है, लेकिन AIMPLB का स्टैंड है कि ट्रिपल तलाक घिनौना है लेकिन तब भी वैध है. इसके बाद ऑल फोरम फॉर अवेयरनेस ऑन नेशनल सिक्युरिटी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने ट्रिपल तलाक पर पक्ष रखा था.
बता दें कि शुक्रवार को पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कई बड़े सवाल उठाए थे. कोर्ट ने कहा था कि तीन तलाक इस्लाम में शादी खत्म करने का सबसे बुरा और अवांछनीय तरीका है, लेकिन कुछ विचारधाराएं उसे सही मानती हैं. वहीं तीन तलाक को पाप के सामान बताए जाने पर कोर्ट ने सहज सवाल किया कि जो चीज ईश्वर की निगाह में पाप है, उसे इंसान द्वारा बनाए गए कानून में सही कैसे कहा जा सकता है.