कानपुर: IPL -10 में सट्टेबाजी को लेकर आज बड़ा खुलासा हुआ है. कानपुर पुलिस और BCCI की विजिलेंस टीम ने कानपुर के लैंडमार्क होटल पर छापा मारकर तीन सट्टेबाजों को गिरफ्तार किया है. कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में गुजरात लायंस और दिल्ली डेयरडेविल्स के बीच आईपीएल मुकाबला खेला जा रहा था और इधर शहर के ही लैंडमार्क होटल पर सट्टेबाजी को लेकर पुलिस की छापेमारी हो रही थी.
अहम बात ये है कि कानपुर के इसी लैंडमार्क होटल में दोनों टीम के खिलाड़ी ठहरे हुए थे और इसी होटल की 17 वीं मंजिल के कमरा नंबर 1733 से तीन बुकी सट्टेबाजी का खेल खेल रहे थे. सट्टेबाजों के पास 4 लाख रुपए कैश, एक डायरी, तीन मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं.
इस मामले में तीन खिलाड़ी शक के घेरे में हैं. गिरफ्तार किए गए तीन लोगों में से एक आरोपी गुजरात का रहने वाला जयंत शाह है. जबकि दूसरा सट्टेबाज कानपुर देहात के पुखरायां का रहने वाला विकास चौहान है. जबकि तीसरा शख्स ग्रीन पार्क स्टेडियम में काम करने वाला मजदूर रमेश है. रमेश ही पिच की जानकारी विकास के जरिए जयंत शाह को देता था.
कैसे पकड़े गए सटोरी ?
बीसीसीआई की एंटी करप्शन यूनिट तीन दिन से इन लोगों पर नजर रख रही थी. वो इन्हें रंगे हाथ पकड़ना चाहती थी. इसी वजह से उसने यूपी पुलिस को इनके पीछे लगा रखा था. जैसे ही रुपयों की डिलीवरी हुई इन्हें पकड़ लिया गया. बीसीसीआई फिलहाल किसी खिलाड़ी के इसमें शामिल होने से इंकार कर रही है.
पुलिस ने होटल का कमरा, कॉमन हॉल और सीसीटीवी कंट्रोल रूम सील कर दिया है. आशंका ये भी जताई जा रही है कि पकड़े गए सटोरी एक इंटरनेशनल नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं. इस एंगल से भी जांच की जा रही है.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि कानपुर को गुजरात लायंस की टीम ने अपना दूसरा होम ग्राउंड बनाया है, जहां आईपीएल के दूसरा मैच 13 मई को होना है. यहां सट्टेबाज़ी में पकड़ा गए रमेश कुमार ने ही बाहर से आए सटोरियों के लिए होटल बुक कराया था. रमेश कुमार कानपुर के चुन्नीगंज का रहने वाला है और उसे ग्रीन पार्क स्टेडियम में होर्डिंग लगाने का कॉन्ट्रैक्ट भी मिला हुआ है.
स्पॉट फिक्सिंग के लिए बदनाम आईपीएल पर ये नया कलंक है, इसलिए बीसीसीआई को ये दाग धोना मुश्किल पड़ सकता है कि ग्राउंड तक सीधी दखल रखने वाले रमेश कुमार ने सिर्फ मैदान की जानकारी भर सट्टेबाजों को दी या फिर इस काले खेल की जड़ें इससे कहीं ज्यादा गहरी हैं. फिलहाल पुलिस की जांच में इतना तो सामने आ चुका है कि रमेश कुमार ने पिच की तस्वीरें सटोरियों तक पहुंचाईं और पिच का मिजाज़ समझने के बाद ही सटोरियों ने सट्टे के रेट फिक्स किए.