नई दिल्ली: क्या आजादी के 70 साल बाद भी हिंदुस्तान की आधी आबादी आज़ाद नहीं है ? क्या 21वीं सदी में भी महिलाओं की जिंदगी एक अलफाज़ से बंधी है ? ऐसा इसलिए क्योंकि आज भी महिलाएं तीन तलाक की शिकार हो रही हैं.
ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में बड़ी बहस शुरू हो चुकी है. वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को अदालत की दखलंदाजी मंजूर नहीं. लेकिन आज के दौर में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक मंजूर नहीं है.
मुस्लिम महिलायों को पति चिट्ठी से तलाक थमा दे रहे हैं. इसके अलावा संतान नहीं होने पर भी बीवी को तलाक दे रहें हैं. हालत इतनी गंभीर है कि शराब नहीं देने पर भी पत्नी को तलाक दे दिया जा रहा है. तलाक देने के बाद बेगम पर जानलेवा हमला भी करवाया जा रहा है.
ऐसी घटनाओं पर शर्म आती है और तरस भी कि आजादी के 70 साल बाद भी महिलाएं बंदिशों की बेड़ियों में जकड़ी हैं और तीन तलाक के बंधन में घुट-घुट कर जी रही हैं.
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