मुंबई: कुलभूषण जाधव मामले में भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है. पाकिस्तानी सैन्य कोर्ट की ओर से कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर इंटरनेशनल कोर्ट ने मंगलवार को अंतरिम रोक लगा दी है. इंटरनेशनल कोर्ट के फैसले पर भारत ने खुशी जाहिर की है. राजनेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है.
जाधव की सजा पर ICJ द्वारा रोक का मुंबई के डब्बा वालों ने भी स्वागत किया. डब्बा वालों ने मिठाई बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया. वहीं सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने कुलभूषण जाधव की फांसी पर इंटरनेशनल कोर्ट से रोक लगने पर खुशी जताई. कुलभूषण के एक दोस्त तुलसीदास पवार ने कहा, ‘ हमें ऐसा लग रहा है कि जैसे पाकिस्तान ने अपना निर्णय बदल दिया हो. ऐसा लग रहा है कि जाधव जल्दी ही घर आएंगे. हमें यह देखकर काफी राहत मिली है कि मीडिया उनके साथ खड़ी है.
भारत ने पाकिस्तान की सैन्य अदालत के फैसले के खिलाफ 8 मई को इंटरनेशनल कोर्ट में अपील की थी. भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय अदालत में कहा था कि कुलभूषण को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. ना ही उन्हें भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों से मिलने की इजाजत दी गई.
पाकिस्तान ने भारतीय नौसेना के पूर्व कमांडर जाधव की गिरफ्तारी 29 मार्च 2016 को दिखाई थी और दावा किया था कि जाधव बलूचिस्तान और कराची में आतंकवाद फैलाने का काम कर रहे थे. भारत का कहना है कि जाधव को अगवा किया गया है. गिरफ्तारी के बाद भारतीय उच्चायोग ने कई बार उनसे मिलने की इजाजत मांगी थी. लेकिन पाकिस्तान ने इसकी इजाजत नहीं दी.
दरअसल भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को लेकर भारत ने काउंसलर एक्सेस के लिए 16 बार अनुरोध किया, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया. मौखिक और लिखित में कई बार जाधव मामले में चलायी गई प्रक्रिया के बारे में जानकारी मांगी गई, लेकिन पाकिस्तान की ओर से इस मामले के दस्तावेजों से जुड़ी मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं सामने नहीं आई. इसके बाद आखिरकार विदेश मंत्रालय ने इंटरनेशनल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
कौन है कुलभूषण जाधव
कुलभूषण जाधव मुंबई के रहने वाले हैं. कुलभूषण जाधव साल 1991 में नौसेना में अधिकारी के तौर पर कमीशन किए गए थे और 2013 में रिटायर हो गए. भारत सरकार के मुताबिक जाधव का कार्गो बिजनेस है और वो ईरान के चाबहार बंदरगाह से पाकिस्तान के कराची तक कार्गो लेकर आते थे. भारत का आरोप है कि पाकिस्तान ने जाधव को पाकिस्तानी जल सीमा में पकड़ा और जासूस बताकर कब्जे में ले लिया.
यही नहीं, पिछले एक साल से कुलभूषण को कहां रखा, ये भी किसी को नहीं बताया. उनके खिलाफ मिलिट्री कोर्ट में कब सुनवाई हुई, इसकी जानकारी भी किसी को नहीं दी. ऐसे में उन्हें वकील मुहैया कराने का उसका दावा बेतुका है. जबकि पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज भी कह चुके हैं कि कुलभूषण के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं हैं.