रवींद्रनाथ टैगोर जयंती आज, सिर्फ भारत ही नहीं इस देश के लिए भी इन्होंने लिखा था ‘राष्ट्रगान’

गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ऐसे शख्स हैं जिन्हें शब्दों में व्यक्त करना कठिन है. टैगोर अद्भुत प्रतिभा के धनी थे. आज टैगोर जयंती है. उनकी याद में आज आपको बताते हैं इनसे जुड़ी कुछ खास बातें.

Advertisement
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती आज, सिर्फ भारत ही नहीं इस देश के लिए भी इन्होंने लिखा था ‘राष्ट्रगान’

Admin

  • May 7, 2017 4:36 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ऐसे शख्स हैं जिन्हें शब्दों में व्यक्त करना कठिन है. टैगोर अद्भुत प्रतिभा के धनी थे. आज टैगोर जयंती है. उनकी याद में आज आपको बताते हैं इनसे जुड़ी कुछ खास बातें.
 
-इतिहास के पन्नो में केवल रविन्द्रनाथ टैगोर ऐसे श्ख्स हैं जिनकी दो-दो कविताओं को वर्तमान समय में दो देशों के राष्ट्रगान का दर्जा प्राप्त है. वो हैं भारत राष्ट्र का ‘जन गन मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता’ और बांग्लादेश का ‘आमार सोनार बांग्ला’.
 
-टैगोर को दुनिया कवि, गीतकार, कहानीकार, नाटककार और भी कई रूपों में जानती है. गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर को लोग भारत के राष्ट्रगान के रचियता के रूप में भी जाने जाते हैं.
 
-रविन्द्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को एक धनी एवं समृद्ध परिवार में कोलकाता के जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी में हुआ था.  इनके पिता जी का नाम देवेन्द्र नाथ टैगोर  और मां का नाम शारदा देवी था. ये अपने माता-पिता के 15 संतान में से 14वें पुत्र है.
 
-इनकी शुरुआती पढ़ाई स्कूल से नहीं बल्कि घर से से की थी. 6 साल घर पर पढ़ाई करने के बाद सेंट जेवियर स्कूल में की. उसके बाद वकील बनने की चाहत में इंग्लैंड चले गए लेकिन उसके बाद लंदन यूनिवर्सिटी में कानून की पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर एक साल के अंदर ही बिना डिग्री लिए भारत वापस आ गए.
 
-पिता देवेन्द्रनाथ का एक समाजसेवी एवं बुद्धिजीवी व्यक्तित्व का व्यक्ति होने के कारण रविन्द्रनाथ पर इस चीज का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा था और इसी वजह से उनकी वकील बनने की चाहत थी. 
 
-आठ साल की उम्र में ही रविन्द्र नाथ टैगोर ने कविता ‘अभिलाषा’,’तत्वभूमि’ नामक पत्रिका में छपी थी.
 
-टैगोर घोर राष्ट्रवादी थे और ब्रिटिश राज की भर्त्सना करते हुए देश की आजादी की मांग की थी. जलियावाला बाग कांड के बाद उन्होंने अंग्रेजों की ओर से दिए गए नाइटहुड का त्याग कर दिया था.
 
-टैगोर के बारे में एक सबसे रोचक और गौरवानित बात यह हैं कि वे एशिया के सबसे पहले प्रथम नोबेल पुरुस्कार से पुरस्कृत व्यक्ति हैं. 
 
-रविन्द्र नाथ टैगोर अपने जीवन में तीन बार अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक से मिल चुके थे. अल्बर्ट टैगोर जी को रब्बी टैगोर कह कर पुकारते थे. 
 

Tags

Advertisement