बिहार विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और तमाम पार्टियां समानता और विकास जैसे वादे थोक के भाव में जनता से कर रहीं हैं. दूसरी तरफ एक शर्मनाक घटना में बिहार के शेखपुरा में पंचायत ने फरमान देकर गांव के महादलित परिवारों का हुक्का-पानी बंद कर दिया है. बात बस इतनी सी थी कि इन परिवारों ने एक मरे हुए जावर के शव को फेंकने से मना कर दिया था.
पटना. बिहार विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और तमाम पार्टियां समानता और विकास जैसे वादे थोक के भाव में जनता से कर रहीं हैं. दूसरी तरफ एक शर्मनाक घटना में बिहार के शेखपुरा में पंचायत ने फरमान देकर गांव के महादलित परिवारों का हुक्का-पानी बंद कर दिया है. बात बस इतनी सी थी कि इन परिवारों ने एक मरे हुए जावर के शव को फेंकने से मना कर दिया था.
सामाजिक बहिष्कार किया गया
यहां दबंगों द्वारा लगाई पंचायत में यह सजा दी गई है कि वे गांव से कोई समान नहीं खरीद सकते. गांव की सीमा में उनके शौच करने पर भी पाबंदी लगा दी गई. इस फैसले के खिलाफ महादलितों ने एसपी से मिलकर सुरक्षा की गुहार लगाई है. जानकारी के मुताबिक, घटना सदर ब्लाक के पिंड गांव की है. यहां महादलितों द्वारा गांव से मरा हुआ जानवर नहीं फेंकने पर दबंगों ने ये कदम उठाया. महादलित परिवार के बच्चों की सरकारी स्कूल में पढ़ाई बैन कर दी गई. सामाजिक बहिष्कार की इस शिकायत को लेकर जब ये लोग गांव के सरपंच और लोकल पुलिस के पास गए, तो वहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई.
पुलिस भी नहीं कर रही है मदद
पुलिस ने बताया कि एक पशु की मौत के बाद महादलित सीताराम रविदास ने इसका शव फेंकने से इंकार कर दिया, तो पशुपालक ने शव उसके दरवाजे पर रख दिया. इसके बाद गांव दबंगों ने पंचायत लगाकर रविदास समाज के लोगों के सामाजिक बहिष्कार का ऐलान कर दिया. उनका हुक्का-पानी बंद कर दिया. एसडीपीओ किशोरी महतो ने बताया कि इस तरह की शिकायत मिली है. इसकी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी. हुक्का-पानी बंद करने का आदेश देने वालों की पहचान की जा रही है. यह कानून का सरासर उल्लंघन है. बताते चलें कि बिहार में इस समय नीतीश कुमार की सरकार है.