नई दिल्ली : बुलंदशहर गैंग रेप मामले में आजम खान के विवादित बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अब 31 जुलाई को सुनवाई होगी. इससे पहले कोर्ट से आज़म ने बिना शर्त माफ़ी मांग ली थी और कोर्ट ने माफ़ीनामे को स्वीकार भी कर लिया था लेकिन कोर्ट ने कहा था कि राइट टू स्पीच के नाम पर क्या सरकार की पॉलिसी और विधान के विपरीत बयान दे सकता है? इस मामले को संवैधानिक पीठ के समक्ष भेजेंगे.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मंत्री पद पर बैठे व्यक्ति राइट टू स्पीच के नाम पर क्या सरकार की पॉलिसी और विधान के विपरीत बयान दे सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संवैधानिक बेंच रेफर करने का संकेत दिया है और कहा है कि वह 2 मई को इस मामले में औपचारिक आदेश पारित करेगी.
सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी हरीश साल्वे ने कहा कि मिनिस्टर संविधान के प्रति जिम्मेदार है और वह सरकार की पॉलिसी और विधान के खिलाफ बयान नहीं दे सकता. बुलंदशहर गैंग रेप मामले में यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान ने विवादास्पद बयान दिया था बाद में आज़म खान ने अपने बयान के लिए बिना शर्त बयान के लिए पछतावे का इजहार किया था जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कई संवैधानिक सवाल उठाए हैं जिसको एग्जामिन किया जा रहा है.