नई दिल्ली: देश भर में ट्रिपल तलाक पर जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है. इन्हीं बहसों के बीच रविवार को केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि तीन तलाक धार्मिक मुद्दा नहीं है और शरियत में इस विवादास्द रिवाज को कहीं से भी स्वीकृति नहीं मिली है.
पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि तीन तलाक धार्मिक मामला नहीं है. ये अऩ्य महिलाओँ की तरह मुस्लिम महिलाओं के लिए जीने का अधिकार और समानता के अधिकार से जुड़ा मामला है. ये समानता के अधिकार की बात है और महिलाओं को गरीमा के साथ रहने का पूरा अधिकार है.
इस मसले पर नायडू ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि तीन तलाक के मुद्दे पर कांग्रेस कई सालों से चुप है. इसे रिवाज को तुरंत खत्म किया जाना चाहिए. इस मुद्दे पर किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए. आखिर ये भेदभाव क्यों? मैं सभी राजनीतिक दलों से निवेदन करता हूं कि नकारात्मक राजनीति को खत्म करने का संकल्प लें.
पीएम मोदी द्वारा ट्रिपल तलाक को पोलिटकल माइलेज दिये जाने के सीनियर कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे के आरोप पर नायडू ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर पीएम मोदी ने कल जो कहा है इस पर मुस्लिम समुदाय को खुद सोचना चाहिए. बता दें कि पीएम मोदी ने कहा था कि मुझे विश्वास है कि मुस्लिम समुदाय तीन तलाक के मुद्दे पर सही नतीजा निकालने के लिए आगे आएगा और इस मुश्किल घड़ी में मुस्लिम महिलाओं के उद्धार पर काम करेगा.
उन्होंने कांग्रेस पर हमलावर होते हुए कहा कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों की हितैषी बनती है. मगर हकीकत ये है कि कांग्रेस को अल्पसंख्यक महिलाओं से कुछ लेना-देना ही नहीं है. तीन तलाक धार्मिक आधार पर महिलाओं के खिलाफ असमानता और भेदभाव का मामला है. कांग्रेस इस पर वर्षों से चुप क्यों है. कांग्रेस को इसका जवाब देना चाहिए.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विपक्षी पार्टियां लोगों के मेंडेट को पचा नहीं पा रही है. इसलिए वे कुछ अलग एजेंडा के साथ आ रहे हैं. मगर उनका ये एजेंडा काफा बाधाकारी और नकारात्मक है, जो लोगों के लिए चिंता की बात है.
नायडू ने सभी राजनीतिक पार्टियों से अपील की कि नकारात्मक राजनीति को खत्म करें और रचनात्मक और सकारात्मस राजनीतिक के साथ आगे आएं और देश को एक इनर्जी दें ताकि नागरिकों को इसका फायदा मिल पाए. साथ ही उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए चुनाव और उसके नतीजों ने बता दिया कि देश में निगेटिव पोलिटिक्स की कोई जगह नहीं.