नई दिल्ली: तमिलनाडु में किसानों की खुदखुशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि राज्य में 82 किसानों की मौत सूखे ही वजह से नहीं हुई है. ये सारी मौतें प्राकृतिक और निजी कारणों से हुई हैं. फिर भी राज्य सरकार ने परिवारों को 3-3 वाख रुपये दिए हैं. राज्य सरकार सूखे के हालात पर नजर रखे हुए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने कहा कि पांच साल से कर्नाटक कावेरी नदी का पानी नहीं छोड रहा है. उसके बावजूद सरकार किसानों का मदद के लिए फसल बीमा और दूसरी सविधाएं दे रही है. इसम मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई दो मई को होगी.
बता दें कि पिछली सुनवाई में किसानों की खुदखुशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को आड़े हाथ लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा है कि राज्य में किसानों द्वारा की जा रही खुदखुशी को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? साथ ही पीठ ने कहा कि चुप रहना समाधान नहीं है.
कोर्ट ने कहा है कि आर्थिक तंगी के कारण किसानों द्वारा खुदखुशी करने की घटना किसी भी संवेदशील आत्मा को झकझौर देता है. राज्य अपने नागरिकों का अभिभावक होता है, इसलिए उसे अपनी प्रजा की भलाई पर ध्यान रखना चाहिए. बड़ी संख्या में किसान खुदखुशी कर रहे हैं, ऐसे में राज्य को इसे रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए. एक कल्याणकारी राज्य के लिए सामाजिक न्याय बेहद अहम होता है. राज्य सरकार को इस तरह की घटनाओं को प्राकृतिक आपदा मानते हुए इसे रोकने के लिए तरीका निकालना चाहिए.
जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा हम तमिलनाडु सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह अगली तारीख पर इससे निपटने की योजनाएं पेश करेगी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
गौरतलब है कि इस मामले में जंतर मंतर पर धरने पर बैठे किसानों की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है. किसानों की ओर से कहा गया है कि किसान 35 दिनों से दिल्ली में धरने पर बैठे हैं और प्रधानमंत्री से मिलने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.