नई दिल्ली: एक पूर्व विधायक को बिना किसी बीमारी के अस्पताल में भर्ती करना गुड़गांव के दो डॉक्टरों के महंगा पड़ गया. सुप्रीम कोर्ट ने गुड़गांव के एक प्राइवेट हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर एस सचदेवा और डॉक्टर मनीष प्रभाकर पर कोर्ट की अवमानना के तहत जुर्माना लगाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एस सचदेवा और मनीष प्रभाकर दोनों पर 70-70 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. हालांकि, दोनों डॉक्टर ने कोर्ट से बिना शर्त माफी मांग ली है.
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों डॉक्टरों को अवमानना का दोषी करार दिया है और दोनों डॉक्टर को जुर्माने के पैसे कोर्ट की रजिस्ट्री ऑफिस में जमा करने का आदेश दिया है. इस पैसे का क्या इस्तेमाल किया जाये, इस पर सुझाव देने के लिए अदालत ने वी. के. बाली से सुझाव मांगा.
दरअसल, सीबीआई रिपोर्ट से पता चला है कि महम सीट से 2002 में जीते इनेलो पूर्व विधायक बलबीर उर्फ बाली पहलवान ने हत्या के एक मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए गुड़गांव के निजी अस्पताल के दो डॉक्टरों की मदद ली थी. अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर ने बाली पहलवान को सुख, सुविधाओं के साथ कई सप्ताह तक हॉस्पिटल में रखा था. इसमें एक अन्य डॉक्टर ने भी मदद की थी.
गौरतलब है कि कलानौर थाना पुलिस ने 6 मई 2011 को बाली कार्यकर्ताओं पर विष्णु नामक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या का मामला दर्ज किया था. उस मामले में बाली गिरफ्तार हुए थे मगर बाद में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 11 फरवरी 2013 को उन्हें जमानत दे दी थी. हालांकि, इसके बाद शिकायतकर्ता ने इस फैसले के खिलाफ बेल रद्द कराने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर, 2013 को जमानत रद्द करते हुए आत्मसमर्पण के आदेश दिया था.
हालांकि, इस फैसले के बाद बाली खुद को बीमार बताते हुए गुड़गांव के अस्पताल में भर्ती हो गये. उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी हुए. फिर शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की. इसमें कहा गया कि बाली को कोई बीमारी नहीं है. इस पर कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिये. सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बाली पहलवान को कोई बीमारी नहीं है. वह अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर और मेडिकल अफसर की मदद से खुद को बीमार बता रहा है. बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने बाली पहलवान को गिरफ्तार किया था.