CM महबूबा को मिली 3 महीने की मोहलत, पत्थरबाजों को काबू करो वर्ना गई सरकार !

पत्थरबाजों पर काबू पाने में नाकाम महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह से मुलाकात की. बताया जा रहा है कि उन्हें हालात को काबू करने के लिए तीन महीने की मोहलत मिली है.

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CM महबूबा को मिली 3 महीने की मोहलत, पत्थरबाजों को काबू करो वर्ना गई सरकार !

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  • April 24, 2017 5:33 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: पत्थरबाजों पर काबू पाने में नाकाम महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह से मुलाकात की. बताया जा रहा है कि उन्हें हालात को काबू करने के लिए तीन महीने की मोहलत मिली है. श्रीनगर में चार दिनों बाद खुले स्कूलों में तो पढ़ाई हुई, लेकिन एसपी कॉलेज के छात्रों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया.
 
थोड़ी देर बाद छात्र श्रीनगर के लाल चौक पहुंच गए और पुलिस की गाड़ियों पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए. छात्रों की भीड़ में कई दूसरे पत्थरबाज भी शामिल थे. जिस वक्त श्रीनगर में पुलिस पर पत्थरबाजी हो रही थी ठीक उसी वक्त सीएम महबूबा मुफ्ती घाटी में बगड़ते हालात को लेकर दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात कर रही थीं.
 
सूत्रों के मुताबिक महबूबा ने इस मुलाकात में पीएम मोदी को भरोसा दिलाया कि अगले 2-3 महीने के भीतर घाटी में बिगड़े हालात पर काबू कर लिया जाएगा. पीएम से मिलने के बाद महबूबा गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मिलीं. महबूबा मुफ्ती राज्य में गवर्नर शासन पर सवाल पूछा गया तो इस पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि इस मामले में केंद्र को फैसला लेना है. 
 
कैसे रुकेगी पत्थरबाज़ी ?
गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद महबूबा मुफ्ती यूनिफाइड कमांड की बैठक बुलाने पर राजी हो गई हैं. यूनिफाइड कमांड की बैठक में सेना, अर्धसैनिक बल, पुलिस और आईबी के अधिकारी शामिल होते हैं. इस बैठक में पत्थरबाजों से सख्ती से निपटने की रणनीति बनेगी. साथ ही सुरक्षा बलों को भी हिदायत दी जाएगी कि वो किसी के उकसावे में आकर गलत कदम न उठायें. सूबे के हालात सुधारने के लिए 31 मई तक जल्द बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने पर भी सहमति बनी है.
 
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि जम्मू-कश्मीर की गठबंधन सरकार पत्थरबाजों से निपटने में पूरी तरह से फेल रही है. सरकार एक बार फिर बातचीत का रास्ता अख्तियार कर सकती है. अलगाववादियों से बातचीत की कोशिश की जाएगी लेकिन ये कोशिश पहले भी की गई थी और अलगाववादियों ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. देखना होगा कि महबूबा इस बार कितना कामयाब हो पाती हैं.

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