Bhima Koregaon anniversary Highlights: इस साल भीमा कोरेगांव की लड़ाई की 201 वीं वर्षगांठ है. 1 जनवरी 2018 को भी भीमा कोरेगांव के आसपास जातिगत झड़पें हुईं जिनको ध्यान में रखते हुए इस बार क्षेत्र में भारी पुलिस व्यवस्था की गई है. पुणे की क्षेत्रीय पुलिस और प्रशासन ने पिछले साल हुई हिंसा जैसे हालात से निपटने के लिए इस साल सुरक्षा के इंतजाम बढ़ा दिए हैं.
नई दिल्ली. अंग्रेजों और पेशवाओं के बीच 1818 में हुई लड़ाई की सालगिरह के मौके पर भीमा कोरेगांव गांव में मुख्य रूप से दलितों ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया है. भीमा कोरेगांव गांव में पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के इंतजाम किए हैं. इस साल भीमा कोरेगांव की लड़ाई की 201 वीं वर्षगांठ है और हजारों लोगों ने पुणे से लगभग 30 किमी उत्तर-पूर्व में जीत के स्मारक ‘जयस्तंभ’ का दौरा करना शुरू कर दिया है. पुणे ग्रामीण पुलिस और जिला प्रशासन ने पिछले साल की हिंसा के हालातों से बचने के लिए इस साल सुरक्षा बढ़ा दी है.
पिछले साल भीमा कोरेगांव में तनाव हो गया था क्योंकि भीड़ ने जातीय संघर्ष के बाद हिंसा शुरु कर दी थी. इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई पुलिस कर्मियों सहित कई अन्य घायल हो गए थे. पुलिस महानिरीक्षक विश्वास-नांगरे पाटिल ने वधु बुद्रुक में कहा, ‘इस साल पुलिस और प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन, यातायात प्रवाह प्रबंधन, कानून और व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने और तोड़फोड़ की सतर्कता के साथ सावधानीपूर्वक व्यवस्था की है. हमें विश्वास है कि कार्यक्रम को शांतिपूर्ण और सुचारू रूप से संचालित किया जाएगा.’
भीमा कोरेगांव में आज इंटरनेट सेवाएं भी बंद रहेंगी. पुलिस ने हिंदुत्व नेता मिलिंद एकबोटे समेत कबीर कला मंच (केकेएम) से जुड़े कार्यकर्ताओं के प्रवेश पर 30 दिसंबर से 1 जनवरी तक अपने अधिकार क्षेत्र वाले इलाकों में प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही रविवार को कई कार्यकर्ताओं के साथ हिरासत में लिए गए भीम आर्मी के प्रमुख और दलित नेता चंद्रशेखर आजाद को भी पेरने गांव स्थित जयस्तंभ या युद्ध स्मारक जाने पर भी प्रतिबंधित किया गया है. हालांकि आजाद ने कहा कि अगर राज्य सरकार बल का प्रयोग करती है तो भी वह स्मारक का दौरा करेंगे.
Bhima Koregaon violence History: जानिए क्या है भीमा कोरेगांव का इतिहास, पिछले साल भी मचा था बवाल