लखनऊ: यूपी चुनाव में समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव ने जिस लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे की खूब चर्चा की, अब वही पार्टी के लिए मुसीबत का कारण बन सकता है. योगी सरकार ने इस प्रोजेक्ट की जांच शुरू कर दी है.
एक्सप्रेस वे बनाने में हुए कथित भ्रष्टाचार के आरोंपों के बाद ये जांच शुरू की गई है. आरोप है कि ज्यादा मुआवजे के लिए खेती वाली जमीन को भी रिहायशी जमीन बताया गया. सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने दस जिला जजों को पिछले 18 महीनों के दौरान 230 गावों में की गई लैंड डील की जांच करने का आदेश दिया है.
दरअसल उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के स्पेशल फील्ड ऑफिसर वाई एन लाल ने फिरोजपुर में पांच चकबंदी अधिकारियों और 22 जमीन मालिकों के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. लाल का आरोप है कि खेती की जमीनों को रिहायशी जमीन बताकर बेचा गया और अधिक मुआवजा लिया गया.