नई दिल्ली: यूपी की बुनियादी समस्याओं से सरकार को दो-चार कराने के लिए हमारी खास मुहिम जारी है. और इसी मुहिम का हिस्सा है ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड. जिसकी दूसरी कड़ी में आज हम आपको सूबे के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई और पढ़ाने वालों के स्तर से वाबस्ता कराएंगे.
यूपी की राजधानी लखनऊ के पास एक सरकारी स्कूल में चौथी क्लास में पढ़ने वाला बच्चा अगर हिंदी में संतरा तक नहीं लिख पाए. तो चिंता होती है. जिस स्कूल की हकीकत हम आपको दिखाने जा रहे हैं. वो कुछ साल पहले बेहद सुर्खियों में था.
लखनऊ के मोहनलालगंज इलाके का ये जबरौली प्राइमरी स्कूल है. सफेद पुताई से चमचमाती स्कूल की इमारत. लेकिन इसके अंदर मौजूद है सिर्फ खोखलापन. स्कूल में दाखिल होते ही हम इस क्लासरूम में पहुंचे. जहां, फर्श पर बिछी चटाई पर सिर्फ 3-4 बच्चे थे. हैरान करने वाली सच्चाई ये कि एक ही कमरे में दो-दो क्लास के बच्चे बैठे थे.
क्लासरूम में दाखिल होते ही हमने पांचवीं की एक बच्ची से बातचीत शुरू की है. प्राइमरी स्कूल में पहली से पांचवीं तक पढ़ाई होती है. लेकिन यहां एक ही कमरे में दो-दो क्लास के बच्चे पढ़ते हैं. और टीचर की संख्या भी सिर्फ 3 है. उसमें भी एक शिक्षामित्र हैं. हम दूसरे कमरे में दाखिल हुए. और चौथी क्लास के एक बच्चे से बातचीत शुरू की है.