बंगलुरु: गैंगस्टर, गुंडों और माफियाओं को लोग उनके असल नाम से कम, बल्कि उनके निक नेम से ज्यादा जानते हैं. अगर आप माफियाओं के नाम पर गौर करेंगे, तो उनके नाम इतने अजीब होते हैं कि आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि आखिर ये इस तरह के नाम रखते क्यों हैं. आज हम आपको पुलिस की खतरनाक माफियाओं और गुंडों की सूची में से कुछ के बारे में बतायेंगे, जिनके नाम से आप डरेंगे नहीं, बल्कि हंसी जरूर आएगी.
मुंबई के छोटे राजन से लेकर अमेरिका के बेबीफेस नेल्सन जैसे गैंगस्टर के निक नेम से ही लोग उन्हें पहचानते हैं. शायद उनके निक नेम उनके अजीब कारणों के लिए किये गये अपराध को पहचानने का तरीके हैं. लेकिन अब बंगलुरु शहर के गुंडे, लुटेरों में भी अजीब तरह के निक नेम का ट्रेंड देखने को मिल रहा है. उनके निक नेम इतने अजीब होते हैं कि आप विश्वास नहीं कर पाएंगे. खास बात ये है कि वे अपने स्किन के रंग, ड्रेसिंग सेंस से लेकर पहले जहां वे जॉब करते थे, उसके आधार पर अपना निक नेम रख रहे हैं.
हैरान करने वाली बात ये है कि एक बार उनमें से किसी एक ने बचपन में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर स्कूल में गांधी का रोल किया था, तो उसने अपना निक नेम भी गांधी ही रख लिया.
पुलिस के मुताबिक, अक्सर यह स्थानीय लोग या गिरोह के सदस्य होते हैं, जो अपना एक यूनिक उपनाम चुन लेते हैं. या तो ये अजीब उपनाम उन्हें ‘नियमित लोगों अथवा आम लोगों से अलग करने के लिए कार्य करता है, या फिर नाम से डर पैदा करने का काम करता है. पुलिस के मुताबिक, ऐसे मामले तब सामने आये, जब माफिया से कॉरपोरेटर बने वी नागराज ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और अपने अपराध के टैग वाले नाम बॉम्ब नागा को हटाने के लिए अर्जी दी.
एक सीनियर पुलिस के मुताबिक, ज्यादातर गुंडे-माफिया और उनके गैंग के लोग खुद से ऐसा नाम चुनते हैं, ताकि वो इस अजीब नाम से स्थानीय लोगों में डर कायम कर सके. जैसे ही एक बार ये नाम पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हो जाते हैं, हमारे लिए उनकी पहचान करना आसान हो जाता है.
पुलिस के मुताबिक, श्रीनिवास नामक एक गुंडे के ऊपर हाल ही में बसवेश्वरनगर पुलिस थाने में गोण्डा अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था. उसने अपना उपनाम गांधी रखा है. वह उसी नाम से जाना जाता है. वो मर्डर के प्रयास और डकैती सहित दस मामलों में वांटेड है. हालांकि, उसने एक महान कारण से अपना उपनाम अर्जित किया है.
दरअसल, यह वांटेड अपराधी अपने स्कूल के दिनों में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान महात्मा गांधी की भूमिका निभाने के लिए अक्सर उत्साहित रहा करता था. उसे गांधी का रोल करना पसंद था. इसीलिए उसने गांधी उपनाम पा लिया.
एक और पुलिस अधिकारी के मुताबिक, 24 साल के इरफान नाम के गुंडे, जिसे कोलर जिले के एचएएल पुलिस स्टेशन के कैद में रखा गया था, उसने अपना नाम काला डाम्बार रखा था. उसने ये नाम इसलिए रखा है, क्योंकि उसके स्किन का रंग काला है.
अभी और भी कुछ गैंगस्टर, गुंडे और माफियाओं के उपनाम हैं, जिन्हें जानकर आपको हंसी भी आएगी और आश्चर्य भी. कुछ और लोकप्रिय उपनाम हैं, जैसे साइकिल रवि, सेक्सी गुंडा चंद्रशेखर, केंच (गोरा) कुमार, बेकरी रघु, केबल श्रीधर और ब्रेक जग्गी हैं.
आपको बता दें कि शहर की पुलिस ने हाल ही में माफियाओं के खिलाफ अक्रामक कार्यवाई की है. गैंग्सटर और माफियाओँ के खिलाफ इस अभियान में एक ‘गुलाबी किताब’ तैयार किया है, जिसमें इस तरह के अपराधियों की पूरी सूचना होती है. इसमें उसकी पूरी की पूरी जन्मकुंडली होती है. इस गुलाबी किताब में अपराधियों के शराब के ब्रांड, आदतें, निवेश, फैमिली मेंबर, दोस्त, राजनीतिक संरक्षण आदि सब की जानकारी होती है. इसे खबरियों की मदद से तैयार किया गया है.
पुलिस के मुताबिक, अगर इस समय शहर में हो रही अपराधों में कमी देखने को मिले, तो इसमें आश्चर्य करने की कोई बात नहीं, क्योंकि सभी इतने अधिक क्रिकेट प्रेमी हैं कि वो अभी आईपीएल देखने में व्यस्त हैं.
हालांकि, ऐसा नहीं है कि खूंखार अपराधी सुंदर नहीं होते, इनमें से बहुत सुंदर भी हैं. जैसे सेक्सी गुंडा चंद्रशेखर. रिकॉर्ड के मुताबिक, ओन्टे रोहित नामक अपराधी टीवी समाचार का बहुत बड़ा फॉलोअर है.
आपको बता दें कि बंगलुरु में कम से कम 9300 डकैत खुले तौर पर या गुप्त रूप से काम कर रहे हैं. इन्हें तीन खंड ए, बी और सी में बांटा गया है. खास बात ये है कि ए-सूची में शहर की सीमाओं में रहने और संचालन करने वाले हैं. बी श्रेणी में वे लोग हैं, जो सक्रिय हैं, लेकिन शहर की सीमा के भीतर से नहीं. और सी श्रेणी में उन लोगों को रखा गया है, जो नया-नया अपराध की दुनिया में कदम रख रहे हैं.