तेलंगाना में मुस्लिम आरक्षण 4 से 12 फीसदी तक बढ़ा, बीजेपी ने किया विरोध

हैदराबाद. तेलंगाना में पिछडे़ मुस्लिमों का आरक्षण चार से बढ़ाकर 12 फीसदी और अनुसूचित जाति (एसटी) का 6 से 10 फीसदी हो गया है. रविवार को इससे संबंधित विधेयक विधानमंडल ने पास कर दिया है.

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तेलंगाना में मुस्लिम आरक्षण 4 से 12 फीसदी तक बढ़ा, बीजेपी ने किया विरोध

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  • April 17, 2017 6:14 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
हैदराबाद.  तेलंगाना में पिछडे़ मुस्लिमों का आरक्षण चार से बढ़ाकर 12 फीसदी और अनुसूचित जाति (एसटी) का 6 से 10 फीसदी हो गया है. रविवार को इससे संबंधित विधेयक विधानमंडल ने पास कर दिया है.
इस विधेयक को ‘पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण विधेयक, 2017’ नाम से पेश किया गया था. हालांकि इस दौरान बीजेपी के 5 विधायकों ने इसका पुरजोर विरोध किया. इसके बाद उन्हें दिन भर के लिए निलंबित कर दिया गया.
बीजेपी इस विधेयक के खिलाफ विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों ही जगह विरोध कर रही है. लेकिन पार्टी एसटी आरक्षण कोटा बढ़ाए जाने के पक्ष में है. इस विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद राज्य में कुल आरक्षण 50 से 62 फीसदी हो जाएगा.  ध्यान देने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा न होने पाए.
मंजूरी के लिए भेजा जाएगा राष्ट्रपति के पास
तेलंगाना की सरकार इस विधेयक को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. इससे यह बिल संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जा सकेगा. आपको बता दें कि 9 वीं अनुसूची में शामिल हो जाने के बाद इस बिल को न्यायिक समीक्षा से छूट मिल जाएगी. ऐसा तमिलनाडु सरकार भी कर चुकी है.
मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव का तर्क
विधेयक पर चर्चा के दौरान तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने कहा कि अगर केंद्र सरकार इस बिल को मंजूरी नहीं देती है तो वह सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाएंगे.
उनका कहना था कि 69 फीसदी आरक्षण तो तमिलनाडु में भी दिया जा रहा है जो दो दशकों से जारी है.  इसके अलावा कई राज्य और भी हैं जो 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण दे रहे हैं.
ओबीसी को भी दिया आश्वासन
सीएम राव ने कहा कि पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा. आयोग से 6 महीने के अंदर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है.  सीएम ने कहा अनुसूचित जातियों का भी कोटा बढ़ाया जाएगा.
उनका कहना था कि तेलंगाना में बहुत बड़ी आबादी पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यकों की है इसलिए यहां 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण हर हाल में लागू होना चाहिए. 
 

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