…ऐसा हो गया तो 2019 में सबसे बड़ी चुनौती यूपी में ही होगी बीजेपी के सामने

लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी भले ही प्रचंड बहुमत ले आई हो लेकिन उसकी यह सफलता लोकसभा चुनाव में हर लिहाज से बड़ी चुनौती बन सकती है. ईवीएम के बहाने से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती धीरे-धीरे नजदीक आ रहे हैं.

Advertisement
…ऐसा हो गया तो 2019 में सबसे बड़ी चुनौती यूपी में ही होगी बीजेपी के सामने

Admin

  • April 16, 2017 1:37 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
लखनऊ.  उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी भले ही प्रचंड बहुमत ले आई हो लेकिन उसकी यह सफलता लोकसभा चुनाव में हर लिहाज से बड़ी चुनौती बन सकती है. ईवीएम के बहाने से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती धीरे-धीरे नजदीक आ रहे हैं.
सबसे पहले मायवती ने ऐलान किया कि वह बीजेपी के खिलाफ किसी भी दल से हाथ मिलाने के लिए तैयार हैं तो शनिवार को अखिलेश यादव ने भी ऐसी इरादे जाहिर कर दिए. अखिलेश ने कहा कि आयोग खुद सवाल न करे बल्कि बताए कि कैसे ईवीएम में गड़बड़ी नहीं की जा सकती है.
दरअसल बीजेपी के सामने यह बड़ी चुनौती है. बीजेपी यूपी में 39.7 फीसदी वोटों लेकर 312 सीटें जीती है. वहीं सपा को 21.8 फीसदी और बसपा को 22.2 फीसदी वोट मिले हैं. अगर इन दोनों को वोट शेयर को मिला दें तो बीजेपी से काफी ज्यादा हो जाएगा.
यही बाकी जगहों का भी है. सभी दलों का अहसास हो चुका है कि बीजेपी को हराना है तो सबको साथ आना ही होगा.  बिहार के विधानसभा चुनाव में यह प्रयोग सफल भी रहा है और इससे पहले भी देखा गया है कि वोटों का जहां बंटवारा नहीं हुआ है बीजेपी उन चुनावों में बुरी तरह से हारी है.
ईवीएम में गड़बड़ी के मुद्दे पर मायावती, अखिलेश यादव, राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के सुर एक नजर आ रहे हैं. अरविंद केजरीवाल तो कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार भी बना चुके हैं.
उधर जेडीयू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पीएम पद का सपना देख रहे हैं. ऐसे में सिर्फ पेंच इसी जगह फंसता है कि अगर इन दलों का गठबंधन होगा तो पीएम पद का दावेदार कौन होगा.
अगर राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन की बात छोड़ दें और बात करें सिर्फ यूपी से जहां बीजेपी और अपना दल मिलाकर 73 सांसद हैं जिसने बीजेपी के लिए दिल्ली का रास्ता आसान कर दिया था. लेकिन सपा और बसपा के मिल जाने पर यहां का समीकरण पूरी तरह से बदल जाएगा. 
वैसे भी जिस गेस्ट हाउस कांड की वजह से मायावती अभी तक सपा को अपना दुश्मन मान रही थीं वह मुलायम के जमाने की बात थी. मुलायम सिंह यादव के हाथों से अखिलेश ने सपा की बागडोर छीन ली है. मायावती के सामने अब अखिलेश की सपा है.
अगर मायावती और अखिलेश के बीच बात बन जाती है तो यूपी में मोदी और योगी के सामने राह आसान नहीं होगी और यह बताने की जरूरत नही है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से ही होकर जाता है.
 
 

Tags

Advertisement