इस पंचायत में खुले में शौच करने पर लगाया जाता है 500 रुपए का जुर्माना

छत्तीसगढ़: अगर स्वच्छ भारत अभियान के लिए किसी गांव को ब्रांड अम्बेस्डर बानाने की बात हो, तो निसंदेह वह छत्तीसगढ़ का ही एक गांव होगा. मोदी सरकार देश को स्वच्छ रखने और शौच मुक्त भारत बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, मगर लोग प्रेम से मानने को तैयार नहीं हैं. शायद यही वजह […]

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इस पंचायत में खुले में शौच करने पर लगाया जाता है 500 रुपए का जुर्माना

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  • April 14, 2017 2:36 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago

छत्तीसगढ़: अगर स्वच्छ भारत अभियान के लिए किसी गांव को ब्रांड अम्बेस्डर बानाने की बात हो, तो निसंदेह वह छत्तीसगढ़ का ही एक गांव होगा. मोदी सरकार देश को स्वच्छ रखने और शौच मुक्त भारत बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, मगर लोग प्रेम से मानने को तैयार नहीं हैं. शायद यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के इस गांव ने एक अनोखा रास्ता अपनाया है. छत्तीसगढ़ में एक ऐसा पंचायत है, जहां खुले में शौच करने पर पांच सौ रुपए का जुर्माना लगाया जाता है.

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सू्त्रों की मानें, तो यह पंचायचत शौचमुक्त गांव बनने की राह में तेजी से कदम बढ़ा रही है. इतना ही नहीं, इस गांव के लोग इतने जागरूक हो गये हैं कि गांव को स्वच्छ रखने के लिए स्वच्छता दल रोज निगरानी भी करता है. यह पंचायह है सरगुजा जिले के बतौली विकाखंड के बिरिमकेला पंचायत.
 
इस पंचायत की पंच फूलकंवर सिंह का कहना है कि बरसों से चली आ रही खुले में शौच करने की प्रथा पर रोक लगाना आसान नहीं था. उन्होंनें कहा कि स्वच्छ भारत मिशन शुरू होने के बाद उनके पंचायत ने भी गांव को खुले में शौच की प्रथा को बंद करने का संकल्प लिया. 
 
 
इस गांव को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए इस अभियान के जरिये 12 लोगों का स्वच्छता दल बनाया गया है. खास बात ये है कि इस टीम में महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं. अगर कोई ग्रामीण खुले में शौच करने जाते दिखता है, तो स्वच्ता दल के सदस्य सीटी बजाकर उसे आगाह करते हैं. अगर वो नहीं मानते हैं, तो खुले में शौच करने पर पंचायत द्वारा पांच सौ रुपए का जुर्माना भी लगाया जाता है. जुर्माने की राशि को पंचायत के स्वच्छता फंड में जमा किया जाता है.
 
हालांकि, इस पंचायत के लोगों को कहना है कि इस जुर्माने की डर से लोग अब खुले में शौच करना बंद कर चुके हैं. मगर फिर भी इसकी निगरानी करना जरूरी है. यह टीम हर महीने की 10 तारीख को बैठक कर अपने-अपने गांवों में स्वच्ता की स्थिति पर विचार-विमर्श करती है. 

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