Arun Jaitley On Snooping Orders: लोगों के कंप्यूटर की निगरानी के आदेश पर अरुण जेटली की सफाई, कांग्रेस को जमकर कोसा

Arun Jaitley On Snooping Orders: गुरुवार को गृह मंत्रालय ने आदेश जारी किए की 10 जांच एजेंसियां देशभर के किसी भी कंप्यूटर में मौजूद डाटा को कभी भी ले सकती हैं. ऐसा करने के लिए यदि कोई व्यक्ति मना करता है तो उसे 7 साल की सजा दी जाएगी. इसके बाद कांग्रेस ने कहा कि सरकार का ये फैसला लोगों की नीजता के अधिकार का हनन है. इसपर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस बात को बिना जाने बढ़ा रही है.

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Arun Jaitley On Snooping Orders: लोगों के कंप्यूटर की निगरानी के आदेश पर अरुण जेटली की सफाई, कांग्रेस को जमकर कोसा

Aanchal Pandey

  • December 22, 2018 1:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. गृह मंत्रालय ने गुरुवार को कंप्यूटर एवं अन्य संचार उपकरणों को केन्द्रीय एजेंसियों की निगरानी के दायरे में लाने के आदेश जारी किए. इस आदेश के बाद कांग्रेस और कई विपक्षी दलों ने राज्यसभा में विरोध किया. कांग्रेस का कहना था कि ये लोगों के निजता के अधिकार का हनन है. इस विरोध पर सदन में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार के पक्ष में और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘कांग्रेस सुबह से बिना जानकारी के गलत प्रचार कर रही है कि सरकार ने लोगों के कंप्यूटर में मौजूद डाटा पर निगरानी के आदेश देकर उनके नीजता के अधिकार का हनन किया है. कांग्रेस की आदत हो गई है पहले बोलते हैं और बाद में उस मामले को समझते हैं.’

उन्होंने इस आदेश के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट लगभग दो दशकों से लागू है. इस एक्ट के सेक्शन 69 के तहत भारत की संप्रभुता या अखंडता को बनाए रखने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर में मौजूद जानकारी को पाने, निगरानी करने या डिक्रिप्ट करने के अधिकार दिए गए हैं. इस नियम में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित सुरक्षा उपाय शामिल हैं. इसमें अवरोधन या निगरानी केवल गृह सचिव की एक विशेष मंजूरी के तहत अधिकृत होता है. नियमों के तहत अधिकृत एजेंसियों को सूचित करने की आवश्यकता है. इस प्राधिकरण की अनुपस्थिति में कोई पुलिस अधिकारी भी शक्ति का प्रयोग करना शुरू कर सकता है.’

अरुण जेटली ने इस आदेश और पहले रही कांग्रेस सरकार के संबंध पर कहा, ‘कांग्रेस पार्टी पहले बोलती है और बाद में सोचती है. ये कोई सामान्य स्नूपिंग ऑर्डर नहीं है. राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के हित में अवरोधन करने की शक्ति पहले से ही कानून में मौजूद है. यह केवल एक आदेश है कि इसके लिए कौन अधिकृत एजेंसियां ​​होंगी. ये पहले भी मौजूद था और यूपीए सरकार के दौरान भी इसका इस्तेमाल किया गया था. बड़े पैमाने पर तकनीक का इस्तेमाल करने वाले आतंकवादियों का पता कैसे लगाया जाएगा? ऐसा नहीं किया गया तो आतंकवादी आईटी का उपयोग करेंगे लेकिन खुफिया और जांच एजेंसियां ​​अपंग रहेंगी.’

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