नई दिल्ली : दाढ़ी रखने की वजह से पुलिस की नौकरी से सस्पेंड हुए मुस्लिम पुलिसकर्मी ने दोबारा नौकरी ज्वॉइन करने से इनकार कर दिया है. पुलिसकर्मी ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से दोबारा नौकरी देने के ऑफर को ठुकराते हुए कहा है कि वह बिना दाढ़ी के काम नहीं करेंगे.
महाराष्ट्र रिजर्व पुलिस फोर्स के पुलिसकर्मी जहीरुद्दीन शमसुद्दीन बेदादे को सुप्रीम कोर्ट ने सहानुभूति के आधार पर फिर से नौकरी ज्वॉइन करने का ऑफर दिया था. जिसे उन्होंने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि वह बिना दाढ़ी के काम नहीं करेंगे, इस्लाम में अस्थाई दाढ़ी रखने की अवधारणा नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने बेदाद के वकील से कहा कि कोर्ट उनके लिए बुरा महसूस कर रहा है, वह चाहें तो फिर से नौकरी ज्वॉइन कर लें, लेकिन कुछ धार्मिक अवसरों के अलावा वह दाढ़ी नहीं रख सकते, यह उनकी इच्छा होगी.
बेदाद के वकील ने कोर्ट में इस मामले में जल्द सुनवाई की मांग करते हुए याचिका दायर की थी कि बेदाद बिना दाढ़ी के काम करने पर राजी नहीं हैं. हालांकि याचिका पर सुनवाई करने से कोर्ट ने इनकार कर दिया है.
याचिका में कहा गया था कि वह एक नागरिक के तौर पर अपने धर्म का पालन करने के लिए आजाद हैं और पुलिस बल के कमांडेंट उनके फैसले पर हस्तक्षेप नहीं कर सकते, यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
क्या है मामला?
बता दें कि बेदाद को पुलिस फोर्स में आने के बाद दाढ़ी रखने की इजाजत दी गई थी, लेकिन बाद में उन पर दाढ़ी रखने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई और दिसंबर 2012 में बॉम्बे कोर्ट ने बेदाद के खिलाफ फैसला सुना दिया.
कोर्ट ने कहा कि फोर्स एक सेक्युलर एजेंसी है और यहां अनुशासन जरूरी है. कोर्ट ने यह भी कहा था कि दाढ़ी रखना कोई मौलिक अधिकार नहीं है. बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद बेदाद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.