नई दिल्ली : नेता जनता का भरोसा जीत पाएं या नहीं लेकिन ईवीएम को जनता का भरोसा जीतने की जरूरत है. जी हां, राष्ट्रपति के दरबार के बाद आज ईवीएम टैंपरिंग का मुद्दा देश की सबसे बड़ी अदालत में भी गूंजा.
कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को बीएसपी की उस याचिका पर नोटिस जारी कर दिया जिसमें मांग की गई है कि बिना VVPAT यानि पेपर स्लिप के ईवीएम का वोटिंग के लिए इस्तेमाल न किया जाए.
चुनाव आयोग ने भले ही राजनैतिक दलों को चुनौती दी हो कि ईवीएम टैंपरिंग कर के दिखाएं लेकिन अब पूरे मुद्दे पर आयोग को सुप्रीम कोर्ट में जवाब देना होगा. कोर्ट ने आज बीएसपी की याचिका पर चुनाव आयोग और केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
याचिका दाखिल तो बीएसपी ने की थी लेकिन कांग्रेस समेत दूसरे राजनैतिक दल भी गुहार लगाने के लिए कूद पड़े. कांग्रेस ने तो ये तक कहा कि साउथ अमेरिका के अलावा अब पूरी दुनिया में ईवीएम का इस्तेमाल कही नहीं होता, इस बात पर कोर्ट ने तंज कसते हुए कहा कि उसे नहीं भूलना चाहिए कि ईवीएम का इस्तेमाल कांग्रेस राज में ही शुरू हुआ था.
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि
1) 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ईवीएम मशीनों में VVPAT (वोटर वैरिफिकेशन पेपर आडिट ट्रे- पेपर स्लिप) का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
2) चुनाव आयोग ने इसके लिए प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर तीन हजार करोड़ रुपए मांगे थे, लेकिन केंद्र ने ये राशि नहीं दी थी.
गौरतलब है कि मायावती ने यूपी चुनाव के नतीजे आने के बाद सबसे पहले ईवीएम टैंपरिंग का मुद्दा उठाया था, लेकिन आज उसने यूपी और उत्तराखंड में चुनाव को रद्द करने की अपनी मांग को वापस ले लिया. कोर्ट ने साफ कर दिया कि वह मामले में राजनैतिक विवादों में नहीं पड़ना चाहता और सिर्फ कानूनी पहलुओं पर ही गौर करेगा. मामले में कोर्ट ने केंद्र और आयोग से 8 तक जवाब मांगा है.