Guru Gobind Singh Jayanti: जानिए खालसा पंथ की स्थापना करने वाले गुरू गोविंद सिंह की कब है जयंती?

Guru Gobind Singh Jayanti: सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह की जयंती के कुछ दिन बाकी हैं. गुरु गबिंद सिंह को खालसा पंथ की स्थापना करने के लिए जाना जाता है. गुरु गोबिंद सिंह अपने समय के महान योद्धा, विद्वान और भक्त थे. उनके दो बेटों को इस्लाम धर्म न कबूल करने के चलते नवाब वजीर खान ने मार दिया था.

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Guru Gobind Singh Jayanti: जानिए खालसा पंथ की स्थापना करने वाले गुरू गोविंद सिंह की कब है जयंती?

Aanchal Pandey

  • December 19, 2018 4:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. सिख धर्म के 10वें गुरू गरु गोबिंद सिंह की जयंती के कुछ दिन बाकी हैं. ऐसे में सबके मन-मस्तिष्क में ये सवाल उठ रहें है कि उनकी जयंती कब है. आइए हम आपको बताते हैं गुरु गोबिंद सिंह के बारे में. सिखों के दसवें गुरू गुरु गोबिंद सिंह का जन्म पटना में 22 दिसंबर 1666 को हुआ. गुरु गोबिंद सिंह के जन्म के के बारे में कई मत हैं. जूलियन कैलेंडर के मुताबिक गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 1 जनवरी 1666 को हुआ. वहीं ग्रेगोरियन कैलेंडर का मानना है कि गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 1 जनवरी 1667 को हुआ. वहीं हिंदू कैलेंडर के मुताबिक उनका जन्म 1723 विक्रम संवत को हुआ था. वहीं नानकशाही कैलेंडर के अस्तित्व में आने के बाद गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 6 जनवरी को माना गया लेकिन बाद में इसे बदलकर 5 जनवरी कर दिया गया.

गुरु गोबिंद सिंह का शुमार उस समय के सबसे महान योद्धाओं, भक्त और आध्यमिक नेता के रूप में किया जाता है. इसके अलावा गुरु गोबिंद सिंह को त्याग, बलिदान और खालसा पंथ की स्थापना करने के लिए जाना जाता है. गुरु गोबिंद सिंह सिखों के अंतिम गुरू थे. सिख धर्म में गुरु गोबिंद सिंह के जन्मदिन को गुरु गोबिंद जयंती या गुरु पर्व के रूप में मनाया जाता है. गुरू गोबिंद सिंह पिता गुरु तेगबहादुर के बलिदान के बाद महज 9 वर्ष की अवस्था में सिखों के दसवें गुरु बन गए.

गुरु गोबिंद सिंह के के दो पुत्रों जोरावर और फतह को नवाब वजीर खान ने इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए बाध्य किया लेकिन जोरावर और फतह सिंह अपना धर्म बदलने पर राजी नहीं हुए. जिसके बाद में गुरू गोबिंद सिंह के को दोनों पुत्रों को मार दिया गया. इसके अलावा गुरु गोबिंद सिंह के दो पुत्र अजीत सिंह और जुझर सिंह चमकौर के युद्ध में मारे गए. गुरु गोबिंद सिंह विद्वता में किसी से कम नहीं थे वह उर्दू, हिंदी, फारसी, संस्कृत और गुरमुखी भाषाओं के प्रकांड विद्वान थे. गुरु गोबिंद सिंह ने जाप साहिब, चंडी दी वार, श्री भगौती जी की, अकाल उस्तत, बंचित्र नाटक, शास्त्र नाम माला जैसी रचनाएं लिखीं. 18 अक्टूबर 1708 को महाराष्ट्र के नांदेड़ में युद्ध करते हुए गुरु गोबिंद सिंह की मृत्यु हो गई.

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