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सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का जवाब- आखिरी विकल्प के तौर पर पैलेट गन का इस्तेमाल, किसी को मारना सुरक्षाबलों की मंशा नहीं

नई दिल्ली:  पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा. केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि किसी को मारना सुरक्षा बलों की मंशा नहीं है, मगर पैलेट गन के इस्तेमाल के अलावा उसके पास कोई […]

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  • April 10, 2017 3:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली:  पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा. केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि किसी को मारना सुरक्षा बलों की मंशा नहीं है, मगर पैलेट गन के इस्तेमाल के अलावा उसके पास कोई और विकल्प नहीं है. और इसे आखिर विकल्प के तौर पर ही इस्तेमाल किया जाता है. 
 
केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि कश्मीर में प्रदर्शन कभी शांतिपूर्ण नहीं होता. बॉर्डर के क़रीब होने के कारण भीड़ शरारती तत्वों के हाथ में खेलती है. सरकार शांति चाहती है, लेकिन भीड़ हिंसक होती है और पैलेट ग़न का इस्तेमाल आख़िरी विकल्प के तौर पर किया जाता है. अगर असल हथियारों का इस्तेमाल हो तो मरनेवालों की संख्या बहुत ज़्यादा होगी.
 
 
इसके अलावा केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए उन्होंने ये भी कहा कि पावा शैल, रबर बुलेट समेत कई विकल्प सुरक्षा बलों ने आज़माए हैं. भीड़ इतने क़रीब से पत्थरबाज़ी करती है कि सब नाकाम हो जाते हैं. हमारे सुरक्षा बल सही तरीक़े से जवाबी कार्रवाई करते हैं. उनके ऊपर तो ग्रेनेड तक से हमले किये जाते हैं और हज़ारों की तादाद में वो ज़ख़्मी हो रहे हैं.
 
हालांकि, रोहतगी ने यह भी कहा कि अब नए Standard Operating Procedures बनाए गए हैं और रबर बुलेट की तर्ज़ पर सरकार पैलेट ग़न से इतर एक नए विकल्प पर विचार कर रही है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सरकार इज़राइल में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले कैमिकल पर भी विचार कर रही है.
 
रोहतगी ने कल चुनाव के दौरान हुई हिंसा का ज़िक्र किया, जहां पर अलगाववादियों ने वोटिंग नहीं होने दिया. इसके अलावा केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इस याचिका को खारिज करने की मांग की.
 
 
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संवदेनशील बताते हुए याचिकाकर्ता को फटकार लगाई कि आखिर इस प्रदर्शन में 9 से 17 साल के बच्चे कैसे शामिल होते हैं. बताया जा रहा है कि घायल लोगों में 95 फीसदी छात्र हैं. इन जख्मी लोगों में सबसे अधिक उम्र का 28 साल का एक शख्स है.
 
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए केंद्र सरकार की रिपोर्ट पर याचिकाकर्ता को दो हफ्तों के भीतर जवाब देने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.

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