शिवसेना के’चप्पलमार’ सांसद गायकवाड़ बोले- मैं निर्दोष हूं, एयर इंडिया का कर्मचारी पागल है

शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ ने एयर इंडिया के कर्मचारी के साथ मारपीट करने के मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए शनिवार को कहा है कि वह कर्मचारी ही पागल है. उन्होंने कहा, 'एयर इंडिया का वह कर्मचारी ही पागल है, उसके खिलाफ पहले से ही झगड़ा करने के 8 मामले हैं.'

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शिवसेना के’चप्पलमार’ सांसद गायकवाड़ बोले- मैं निर्दोष हूं, एयर इंडिया का कर्मचारी पागल है

Admin

  • April 8, 2017 4:36 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
मुंबई : शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ ने एयर इंडिया के कर्मचारी के साथ मारपीट करने के मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए शनिवार को कहा है कि वह कर्मचारी ही पागल है. उन्होंने कहा, ‘एयर इंडिया का वह कर्मचारी ही पागल है, उसके खिलाफ पहले से ही झगड़ा करने के 8 मामले हैं.’
 
माफी मांगने के सवाल पर भड़कते हुए गायकवाड़ ने कहा कि उन्होंने कोई गलती नहीं की है इसलिए वह माफी नहीं मांगेंगे. उन्होंने कहा, ‘गलती उसकी थी, मैं माफी क्यों मांगू? सदन में मैंने पहले ही माफी मांग ली है.’
 
इसके साथ ही एयर इंडिया के कर्मचारी की चप्पल से पिटाई करने वाले शिवसेना सांसद गायकवाड़ ने कहा कि उनके नाम पर सात बार एयर इंडिया की टिकट बुक की गई, लेकिन यह उन्होंने बुक नहीं की थी, किसी और ने कराई थी. उन्होंने कहा, ‘मैंने कुछ गलत नहीं किया, सदन में मैंने सफाई दे दी है, मेरी पार्टी जानती है कि मैं सही हूं इसलिए मेरा साथ दे रही है. पार्टी के आदेशों का मैं पालन करूंगा.’
 
 
हालांकि एयर इंडिया ने गायकवाड़ की उड़ान पर लगी रोक को शुक्रवार को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है. इसके साथ ही अब गायकवाड़ पर अन्य एयरलाइंस की तरह से लगे बैन का हटना तय है. ट्रैवल बैन हटने के बाद अब शिवसेना सांसद एयर इंडिया की फ्लाइट से यात्रा कर सकेंगे. 
 
क्या था मामला ?
असल में ये पूरा विवाद सीट को लेकर शुरु हुआ था. सांसद रवींद्र गायकवाड़ पुणे से दिल्ली आ रहे थे. उनके पास बिजनेस क्लास का ओपन टिकट था जिस पर वो किसी भी दिन सफर कर सकते थे, लेकिन उन्होंने सुबह 7 बजकर 35 मिनट की फ्लाइट से जाने की जिद की. उस विमान में सारी सीटें इकोनॉमी क्लास की थीं. इस बात को सुनकर सांसद बिफर गए. फ्लाइट दिल्ली पहुंची तो उन्होंने नीचे उतरने से इनकार कर दिया. ट्रैवल बैन की वजह से गायकवाड़ को सड़क मार्ग या फिर रेलमार्ग से यात्रा करनी पड़ रही थी.
 

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