दंगल ‘खास’ की तो ‘आम’ की कहानी है ब्लू माउंटेन

दंगल हरियाणा के एक सेलेब्रिटी परिवार की कहानी थी, कि कैसे एक बाप ने अपनी बेटियों के जरिए अपना सपना पूरा किया और एक आम परिवार को देश का सेलेब्रिटी परिवार बना दिया. लेकिन दंगल तो रोज लाखों लड़के देश के अलग अलग हिस्सों में लड़ते हैं.

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दंगल ‘खास’ की तो ‘आम’ की कहानी है ब्लू माउंटेन

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  • April 6, 2017 2:19 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : दंगल हरियाणा के एक सेलेब्रिटी परिवार की कहानी थी, कि कैसे एक बाप ने अपनी बेटियों के जरिए अपना सपना पूरा किया और एक आम परिवार को देश का सेलेब्रिटी परिवार बना दिया. लेकिन दंगल तो रोज लाखों लड़के देश के अलग अलग हिस्सों में लड़ते हैं, लड़कियां भी, वो तो उस मुकाम पर नहीं पहुंच पाते, जिस पर फोगट बहनें पहुंच गईं तो ऐसे लोगों के साथ क्या गुजरती है और कैसे वो अर्श के ठीक पास से गिरकर फर्श पर फिर से खड़ा होने की भी हिम्मत जुटा पाते हैं, उसकी कहानी है ‘ब्लू माउंटेन’.
 
ब्लू माउंटेन यानी दंगल से आगे की कहानी, दिल्ली के प्रोडयूसर राजेश जैन और डायरेक्टर सुमन गांगुली के सपनों की मूवी. दंगल सपना था आमिर खान का और ब्लू माउंटेन सपना है ‘लगान’ मूवी में उनकी हीरोइन रही ग्रेसी सिंह का. जब वो अपने सिंगिग का कैरियर छोड़कर शिमला में आकर बस जाती है तब ग्रेसी का बेटा एक सिंगिंग रीयलिटी शो के ऑडीशन के पहले राउंड के लिए पास हो जाता है.
 
ग्रेसी के पति के रोल में रणवीर शौरी हैं, जो सिंगिग को कैरियर ही नहीं मानता. ऐसे में जो मुश्किलें आमिर के साथ दंगल में थीं, वही ग्रेसी के साथ ब्लू माउंटेन में हैं. फायनल तक ग्रेसी को आमिर जैसी ही कामयाबी भी मिलती है, लेकिन फायनल में ही कहानी मोड़ लेती है और फिर वो दंगल से आगे बढ़ जाती है. ऐसे में ये मूवी हर उस परिवार को देखनी चाहिए जिनके घरों में बच्चे किसी ना किसी रीयलिटी शो में भाग लेने की ख्वाहिश रखते हैं.
 
ग्रेसी सिंह, रणवीर शौरी, राजपाल यादव, महेश ठाकुर एक्टिंग मे हमेशा की तरह सहज दिखे हैं, लेकिन कमाल कर दिया है फिल्म की लीड किशोर जोड़ी यथार्थ और सिमरन ने. दोनों लोगों को पसंद आएंगे. मूवी और बेहतर हो सकती थी अगर सेकंड हाफ में थोड़ी छोटी होती, 2 घंटे से कम में ही खत्म कर दी जाती.
 
क्लाइमेक्स पर भी थोड़ी और मेहनत या किसी सरप्राइजिंग एलीमेंट की जरूरत थी. एक बड़ी दिक्कत मूवी के साथ ये आ सकती है कि ऑडियंस को हॉल तक कैसे लाया जाए, मूवी में ऐसा कोई स्टार नहीं है, बच्चों को अगर मूवी के प्रोमोज पसंद आए होंगे तो वो मां बाप को खींच कर भी ला सकते हैं.
 
फिल्म की कहानी देखकर लगता है कि बनते बनते शायद कुछ लेट हो गई, थोड़ा पहले आना चाहिए था. अभी सिंगिंग रीयलिटी शोज का खुमार युवाओं के सर से भले ही उतरा नहीं है लेकिन कम जरूर हो गया है.
 
ऐसे में जिस जिसके मन में या उनके बच्चों के मन में किसी रीयलिटी शो में हिस्सा लेने का ख्वाव होगा, उनको ये मूवी पसंद आएगी. म्यूजिक, लोकेशंस, सिनेमेटोग्राफी, डायलॉग्स पर थीम के हिसाब से ही मेहनत की गई है, एक आइटम सोंग की भी जगह बना ली गई है. बच्चों की आपस की कैमिस्ट्री काफी अच्छी बन पड़ी है. इतना तय है कि इस मूवी के हिस्से में चिल्ड्रन फिल्मस कैटगरी के कुछ अवॉर्ड्स तो आने ही हैं, कुछ मिल भी चुके हैं.

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