नई दिल्ली : दिसंबर 2015 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डीडीसीए घोटाले में वित्त मंत्री अरुण जेटली पर गंभीर आरोप लगाए थे. आम आदमी पार्टी के प्रवक्ताओं की पूरी फौज केजरीवाल के सुर में सुर मिला रही थी, जिस पर अरुण जेटली ने केजरीवाल, आशुतोष, राघव चड्ढा, कुमार विश्वास के खिलाफ मानहानि का केस कर दिया.
इस बीच चुपके से दिल्ली सरकार ने केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी को करीब 4 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से देने का आदेश जारी कर दिया, जिसे उप राज्यपाल ने रोक दिया है. दिल्ली की राजनीति अब इसी मुद्दे पर गरमा गई है.
नवंबर 2015 में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के दफ्तर पर सीबीआई ने छापा मारा था. निशाने पर थे केजरीवाल के तत्कालीन प्रमुख सचिव राजेंद्र कुमार, लेकिन केजरीवाल ने इसे केंद्र सरकार से अपनी व्यक्तिगत लड़ाई बना लिया और वित्त मंत्री अरुण जेटली पर डीडीसीए घोटाले का गंभीर आरोप लगा दिया.
अरुण जेटली और केजरीवाल की वो जंग अब तक जारी है. अरुण जेटली ने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के उन प्रवक्ताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा कर दिया, जिसमें केजरीवाल और उनकी पार्टी के प्रवक्ता फिलहाल ज़मानत पर हैं. इस मामले में केजरीवाल अब नए विवाद में फंस गए हैं.
केजरीवाल ने अपनी पैरवी के लिए वरिष्ठतम वकील राम जेठमलानी की सेवा ली थी. दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आदेश जारी कर दिया था कि राम जेठमलानी को फीस के रूप में करीब 4 करोड़ का भुगतान सरकारी खजाने से किया जाए और इसके लिए उप राज्यपाल से मंजूरी लेने की भी ज़रूरत नहीं है. दिल्ली के उप राज्यपाल की जानकारी में ये बात आई, तो उन्होंने विधि विभाग से सलाह मांगी कि क्या ऐसा मुमकिन है.
आखिर केजरीवाल के वकील की फीस दिल्ली सरकार क्यों भरे ? क्या जेटली मानहानि मामला सीएम का सरकारी काम था ? आज इसी मुद्दे पर होगी बड़ी बहस.