शोध का दावा- कनाडा में पैदा लेने वाले बच्चे दुनिया में सबसे ज्यादा रोते हैं

नई दिल्ली: जो भारतीय पैरेंट्स इस बात के लिए परेशान रहते हैं कि उनका छोटा बच्चा ही सबसे ज्यादा रोता है या फिर वो अपने नवजात शिशू के रोने से परेशान रहते हैं, तो वे इस ख़बर को एक बार जरूर पढ़ें. हम सभी जानते हैं कि बच्चा छोटा होता है, तो वो रोता भी […]

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शोध का दावा- कनाडा में पैदा लेने वाले बच्चे दुनिया में सबसे ज्यादा रोते हैं

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  • April 4, 2017 3:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: जो भारतीय पैरेंट्स इस बात के लिए परेशान रहते हैं कि उनका छोटा बच्चा ही सबसे ज्यादा रोता है या फिर वो अपने नवजात शिशू के रोने से परेशान रहते हैं, तो वे इस ख़बर को एक बार जरूर पढ़ें. हम सभी जानते हैं कि बच्चा छोटा होता है, तो वो रोता भी है. हालांकि, ये बात अलग है कि कुछ बच्चे ज्यादा रोते हैं और कुछ कम. जो बच्चे ज्यादा रोते हैं, उनके मां-बाप के लिए उसे चुप कराना किसी पहाड़ तोड़ने से कम नहीं होता.
 
मगर अब भारतीय मां-बाप को टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि ये बात साबित हो चुकी है कि  उनका बच्चा सबसे ज्यादा नहीं रोता है. दरअसल, हाल ही में इस बात को लेकर एक शोध हुआ है कि आखिर देश के बच्चे सबसे ज्यादा रोते हैं. इस शोध के परिणाम से भारतीय माता-पिता को थोड़ी राहत की सांस ज़रूर मिलेगी.
 
Journal of Pediatrics में प्रकाशित एक शोध पत्र के मुताबिक, दुनिया में सभी देशों के मुकाबले कनाडा में पैदा होने वाले बच्चे सबसे ज्यादा रोते हैं. शोघ में पाया गया है कि दुनिया भर में कनाडा, ब्रिटेन और इटली के बच्चे रोने में सबसे ऊपर हैं. 
 
हालांकि, इस शोध में ये बात भी सामने आई है कि डेनमार्क, जर्मनी और जापान के बच्चे सबसे कम रोते हैं. 
 
बताया जा रहा है कि रिसर्चर ने रिसर्च के लिए जो मानक तय किया था, उसमें ये था कि किस देश के बच्चे कितनी देर तक और कितनी जोर से रोते हैं. इस परिणाम को घोषित करने के लिए शोधकर्ताओँ ने इससे पहले की 28 पुरानी शोधों का भी रिव्यू किया. इस शोध में संभावना जताई गई है कि सबसे ज्यादा बच्चों की रोने की मुख्य वजह पेट का दर्द हो सकती है.
 
शोध में ये बात सामने आई कि पेट दर्द से रोने वाले बच्चों में करीब 34 फीसदी कनाडा के बच्चे हैं. वहीं, रोने वालों में करीब 28 फीसदी बच्चे ब्रिटेन के हैं और 20.9 फीसदी बच्चे इटली के हैं. 
 
हालांकि, शोधकर्ताओं ने रोने के किसी विशेष कारण को नहीं बताया है. शोधकर्ताओँ का मानना है कि इसका ठोस और प्रमाणिक ढंग से पता लगाने के लिए अभी और रिसर्च की जरूरत है.

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