नई दिल्ली: पूरे भारत में फिर से गर्मी का महीना आ चुका है. तपती धूप से हर कोई परेशान है. यहां तक देश के कई हिस्सों में पारा 45-46 तक पहुंच गया है. इस तपती गर्मी से राहत पाने के लिए पंखा, कूलर या एसी बेहतर विकल्प है.
लेकिन भारत में कई ऐसे हिस्से हैं जहा अभी भी बिजली नहीं अगर है भी तो उसका कोई भरोसा नहीं है. ऐसे में इन मुश्किलों को देखते हुए पड़ोसी देश बांग्लादेश ने एक आसान रास्ता खोज निकाला है. यह आसान रास्ता है कूलर. इस कूलर की खास बात यह है कि इसे चलाने के लिए न तो बिजली की जरूरत होती है और न ही पानी की.
बांग्लादेश की तरह भारत में भी कई ऐसे ग्रामीण इलाके हैं जहां कई लोग टिन की छत वाले घरों में रहते हैं. दोपहरी में तपती ये छतें गरमी में घर को किसी भट्टी की तरह गर्म कर देती हैं. इको कूलर ऐसे घरों में तापमान को सामान्य कर सकता है.
इको कूलर और कुछ नहीं एक ग्रिडनुमा व्यवस्था है जो आधी कटी हुई प्लास्टिक की बोतलों से बनाया गया है. इस ग्रिड को खिड़की पर फिट कर दिया जाता है. बोतल के चौड़े हिस्से से घुसने वाली गर्म हवा जब इसके संकरे हिस्से में पहुंचती है तो ‘कंप्रेस’ हो जाती है और फिर यह दूसरे छोर से बाहर निकलती है तो थर्मोडायनेमिक्स के नियमों के मुताबिक थोड़ी ठंडी हो जाती है. यही ठंडी हवा कमरे के अंदर राहत पहुंचाने का काम करती है. बताया जा रहा है कि इस कूलर से तापमान पांच डिग्री तक घट जाता है.
आपकोक बता दें कि यह जुगत एडवरटाइजिंग एजेंसी ग्रे बांग्लादेश और ढाका स्थित एक तकनीकी कंपनी ग्रामीण इंटेल सोशल बिजनेस ने विकसित की है. इसे बनाने के लिए जो सामग्री लगती है वह आसानी से मिल जाती है. यही वजह है कि इको कूलर गर्मी में राहत पहुंचाने का एक सस्ता और काफी अच्छा विकल्प साबित हो रहा है.