ग्वालियर : मध्य प्रदेश के VVPAT मशीनों में फर्जीवाडे के मामले में नया खुलासा सामने आ गया है. बताया जा रहा है कि भिंड में ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं हुई थी. मुख्य चुनाव अधिकारी सलीना सिंह ने दो अलग अलग बटन दबाए थे तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों की पर्चियां निकली थीं. बताया जा रहा है कि नेताओं ने वॉट्सअप वीडियो को मुद्दा बनाया था.
जानें VVPAT क्या है?
Voter-verified paper audit trail मतलब आपने किसको वोट दिया उसे चेक करने का तरीका है. VVPAT एक छोटी मशीन होती है जो EVM से जुड़ी होती है. वोट डालने के बाद मशीन से एक पर्ची निकलती है जिसपर आपने किसे वोट दिया ये चेक कर सकते हैं. 10 सेकंड बाद वो स्लीप एक सील्ड बॉक्स में चली जाती है. सील्ड बॉक्स से स्लिप को सिर्फ पोंलिंग ऑफिसर ही चेक कर सकता है. ये मतगणना के समय क्रास चेक करने के काम आती है.
2014 में आम चुनाव में ये पहली बार प्रयोग हुआ था. वहीं 2017 के गोवा विधानसभा चुनावों में सभी सीटों पर VVPAT का चुनावों में प्रयोग हुआ. यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर में कुछ सीटों पर VVPAT का इस्तेमाल हुआ.
बता दें कि पहले खबरें आ रही थी कि मध्य प्रदेश के भिंड में VVPAT (वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) के डेमो के दौरान वोटिंग मशीन का कोई भी बटन दबाने पर हर बार बीजेपी को ही वोट गई और कमल के फूल का प्रिंट निकला. अब मामले में इलेक्शन कमीशन ने रिपोर्ट मांगी. इस दौरान जब वहां मौजूद पत्रकारों ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी सालीना सिंह से सवाल किया तो उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि खबर छापी तो जेल भिजवा दूंगी.