Bulandshahr Mob Violence: गोकशी के शक में भड़की हिंसा में सोमवार को यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत हो गई थी. इसके अलावा एक युवक सुमित भी मारा गया था. बुधवार को यूपी के डीजीपी ने कहा था कि यह माहौल खराब करने की बड़ी साजिश है.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार को बुलंदशहर हिंसा को यह कहते हुए तनाव बढ़ाने की साजिश बताया था कि चिंगरावठी गांव से जो गाय के अवशेष मिले थे, वे दो दिन पुराने थे. पुलिस ने कहा कि उन्होंने मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है. लेकिन यह साफ नहीं किया कि क्या वे लोग उस दिन बुलंदशहर में थे, जब कथित गो-हत्या की गई. गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान- साजिद, सरफुद्दीन, बन्ने और आरिफ के तौर पर हुई है. साजिद और सफुद्दीन नया बांस से हैं जबकि पुलिस रिपोर्ट में बन्ने और आसिफ को बुलंदशहर के अहमदगढ़ और औरंगाबाद का निवासी बताया गया है.
यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने बुधवार को कहा था, ”बुलंदशहर की घटना बहुत बड़ी साजिश थी. यह सिर्फ कानून एवं व्यवस्था का मामला नहीं था. सवाल है कि गाय के अवशेष वहां पहुंचा कैसे, उसे कौन लाया और किन परिस्थितियों में. इन सभी एंगल्स की जांच होगी.” बुलंदशहर में माहौल और भी ज्यादा सांप्रदायिक खराब हो सकता था, अगर हिंसा दोपहर के वक्त होती. 3 दिसंबर को मुसलमानों के लिए आयोजित इज्तिमा खत्म होने के बाद लोग उसी रास्ते से वापस लौटते. तहसीलदार ने यह भी कहा कि अवशेष को इस तरह रखा गया था, ताकि यह सड़क से भी दिखाई दे.
आमतौर पर जो भी गैरकानूनी तरीके से गोकशी करता है, वह लोगों की नजरों से बचता है. लेकिन इस घटना में गोकशी का टुकड़ा इस तरह रखा गया कि यह सड़क से भी दिखाई दे. यह बात भी सरकार को सौंपी गई गोपनीय रिपोर्ट में लिखी होने की बात कही जा रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक जो गोकशी का टुकड़ा मिला, वह दो दिन पुराना था. लिहाजा बुलंदशहर हिंसा के मुख्य आरोपी योगेश राज की यह बात गलत साबित होती है कि उसने लोगों को खेत में गोकशी करते देखा. रिपोर्ट इशारा करती है कि यह बहुत बड़ी साजिश थी. पूरे मामले का खुलासा तब होगा, जब पुलिस योगेश को गिरफ्तार कर उससे पूछताछ करेगी.