नई दिल्ली: दो बार की चैम्पियन और तीन बार की रनर्स अप अर्जेंटीनी टीम की शुरू से ही वर्ल्ड कप फुटबॉल में एक विशिष्ट टीम के रूप में पहचान रही है लेकिन क्वॉलिफाइंग राउंड में चार मैच हारने के बाद उसकी अगले वर्ल्ड कप फुटबॉल में प्रवेश की राह बेहद मुश्किल हो गई है. यही […]
नई दिल्ली: दो बार की चैम्पियन और तीन बार की रनर्स अप अर्जेंटीनी टीम की शुरू से ही वर्ल्ड कप फुटबॉल में एक विशिष्ट टीम के रूप में पहचान रही है लेकिन क्वॉलिफाइंग राउंड में चार मैच हारने के बाद उसकी अगले वर्ल्ड कप फुटबॉल में प्रवेश की राह बेहद मुश्किल हो गई है. यही हाल कुछ तीन बार की रनर्स अप नीदरलैंड और वर्ल्ड कप में चार बार भागीदारी कर चुकी ऑस्ट्रेलियाई टीम का है. इन दोनों टीमों की स्थिति बेशक अर्जेंटीनी टीम जैसी बद्द्त्तर न हो लेकिन इनका प्रदर्शन क्वॉलिफाइंग दौर में उम्मीद के मुताबिक न होने से इनकी राह भी बेहद चुनौतीपूर्ण हो गई है. हर फुटबॉल प्रेमी को इनके जीत की राह पर लौटने का इंतज़ार है.
अर्जेंटीना पांचवें स्थान पर
अर्जेंटीनी टीम की सभी बड़ी दिक्कत यह है कि वह अब तक खेले 14 मैचों में से आठ मैच जीत नहीं पाई है. वह बात अलग है कि इनमें उसके चार मैच ड्रॉ रहे हैं और वह वोलविया से दो गोल से हारने के बाद लीग में दस टीमों वाले साउथ अमेरिकन क्वॉलिफाइंग ग्रुप में पांचवें स्थान पर लुढ़क गई है. ग्रुप में शीर्ष चार पर रहने वाली टीमें अगले साल होने वाले वर्ल्ड कप के लिए क्वॉलीफाई करेंगी जबकि पांचवें स्थान पर रहने वाली टीम को प्ले ऑफ खेलना होगा. लीग में ब्राजील सबसे ऊपर है और उसके बाद कोलम्बिया उरुग्वे और चिली की टीमें हैं.
अब उरुग्वे से मुक़ाबला
अर्जेंटीना को अभी 31 अगस्त को उरुग्वे से खेलना है जो इस समय लीग तालिका में तीसरे स्थान पर है. हालांकि इन दोनों टीमों के बीच फासला बहुत कम है. इस मैच को जीतने की स्थिति में अर्जेंटीना की टीम एक पायदान ऊपर उठ जाएगी. हालांकि स्थितियां अर्जेंटीना के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हैं. उसके स्टार स्ट्राइकर लियोनेल मैसी को रेफरी से भिड़ने की वजह से चार मैचों के लिए निलम्बित किया जा चुका है. ऐसी स्थिति में मैनचेस्टर सिटी के उसके खिलाड़ी सर्गियो आगुरेलो और बार्सिलोना के मैस्चेरानो पर काफी दारोमदार रहेगा. ज़रूरत है टीम को पुरानी ग़लतियों से सबक सीखने की.
डच टीम हारी दो मैच
तीन बार की रनर्स अप नीदरलैंड की टीम 70 के दशक की बेहतरीन टीमों में से एक थी लेकिन 2010 के वर्ल्ड कप में इस टीम ने फाइनल में पहुंचकर तहलका मचा दिया. आज इस टीम का वर्ल्ड कप में प्रवेश का रास्ता काफी मुश्किल हो गया है. अब तक खेले पांच मैचों में यह टीम केवल दो मैच जीत पाई है. दो टीमों के हाथों हार उसके लिए बड़ा झटका है. इस वजह से यह टीम यूरोपीय वर्ल्ड कप क्वॉलिफाइंग राउंड में वर्ग ए में चौथे स्थान पर लुढ़क गई है. पिछले मैच में बुल्गारिया ने उसे एक्सपोज़ कर दिया था. इस मैच की हार का असर यह हुआ कि टीम पूरी तरह से बिखर गई. यहां तक कि उसके कोच डैनी ब्लाइंड को भी टीम से हटा दिया गया. अभी डच टीम को पांच मैच और खेलने हैं और सात साल पुरानी उस लय को दिखाना है जब यह टीम वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी. तीन सितम्बर को इस टीम को बुल्गारिया से और 11 अक्टूबर को स्वीडन से खेलना है. उसके लिए राहत यह है कि उसे दोनों मैच अपनी होम कंडीशंस में खेलने हैं. फिलहाल बुल्गारिया और स्वीडन की टीमें लीग में डच टीम से ऊपर हैं. बुल्गारिया से यह टीम पिछले मैच में एक झटका खा चुकी है जबकि स्वीडन के गृह प्रदेश में खेला गया उसका मैच 1-1 से बराबर रहा था. बेयर्न म्यूनिख के स्टार खिलाड़ी एरेन रॉबेन और रोमा के केविन स्ट्रूटमैन पर उसकी निगाहें टिकी हैं.
ज़्यादातर मैच ड्रॉ
वर्ल्ड कप में चार बार भागीदारी कर चुकी ऑस्ट्रेलियाई टीम इस बार क्वॉलिफाइंग राउंड में सात मैचों में से तीन में जीत हासिल कर पाई है. गनीमत यह है कि यह टीम अभी तक हार टालने में क़ामयाब रही है. उसके चार मैच ड्रॉ समाप्त हुए हैं. एशियन वर्ल्ड कप क्वॉलिफाइंग दौर में यह टीम वर्ग बी में तीसरे स्थान पर है. लगातार चार मुक़ाबले ड्रॉ खेलने के बाद इस टीम को पिछले मैच में यूएई के खिलाफ 2-0 से जीत हासिल होने से नई स्फूर्ति मिली है. अगले मुक़ाबलों में उसकी नज़रें खास तौर पर मेलबर्न सिटी के टिम काहिल और एस्टन विया के मस्करेनो पर टिकी हैं.