What is Agusta Westland Deal Case: 1999 से चर्चा में रहा अगस्ता वेस्टलैंड मामले में कई लोगों का नाम आया. सरकारे बदलीं और मामला बढ़ता गया. जानें क्या है ये मामला औऱ किस सरकार के किस व्यक्ति पर इस मामले के आरोप लगे? कौन है भारत लाया जाने वाला क्रिश्चिन मिशेल? क्या रही उसकी भूमिका?
नई दिल्ली. अगस्ता वेस्टलैंड मामले में बिचौलिये की भूमिका में रहे क्रिश्चियन मिशेल की पेशी आज सीबीआई कोर्ट में होगी. इस मामले में पूर्व वायुसेना एस पी त्यागी को गिरफ्तार किया गया. बता दें कि सीबीआई के मुताबिक अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉपटर की खरीदारी के समय इस डील में 12 प्रतिशत कमीशन लिया गया और इस पूरे मामले में पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी की भूमिका भी संदिग्ध है.
क्या है अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला?
वाजपेयी सरकार
साल 1999 में देश में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार सत्ता में थी. उस समय वीवीआईपी लोगों के आने-जाने के लिए इंडियन एयरफोर्स के MI-8 हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल होता था. हालांकि इन हेलिकॉप्टरों के पुराने हो जाने के कारण सरकार ने इन्हें बदलने का फैसला किया. इसी के बाद नए हैलिकॉप्टर खरीदने की प्रक्रिया शुरू हुई. मार्च 2002 में हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए सरकार ने टेंडर डाला. दुनियाभर की कई कंपनियों ने टेंडर भरा पर किसी कारण से प्रपोजल कुछ सालों के लिए टल गया.
डील का क्लॉज
2005 में वाजपेयी सरकार के बाद आई मनमोहन सिंह सरकार ने हेलिकॉप्टर खरीदीने की प्रक्रिया फिर शुरू की. इसे साल 2010 में मंजूरी मिली. यूपीए कैबिनेट कमेटी ने 3600 करोड़ रुपये के 12 हेलिकॉप्टर्स लेने के प्रपोजल को पास किया. इसी साल यूपीए सरकार ने इंटीग्रेटी क्लॉज लागू किया. इस क्लॉज के मुताबिक हर रक्षा सौदे से पहले ये क्लॉज साइन किया जाएगा कि कभी यदि डील के दौरान किसी बिचौलिये का इस्तेमाल हुआ तो डील रद्द कर दी जाएगी. प्रपोजल पास होने के बाद रक्षा मंत्रालय ने इटली की हेलिकॉप्टर कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से सौदा तय किया. इस कॉन्ट्रेक्ट को पाकर अगस्टा वेस्टलैंड ने अमेरिकी कंपनी सिकोर्सिकी एयरक्राफ्ट समेत कई कंपनियों को पछाड़ा.
रिश्वतखोरी
फरवरी 2012 में इटली के जांच अधिकारियों ने डील को गलत बताया. इटली की जांच एजेंसियों ने कहा, ‘अगस्टा वेस्टलैंड की पैरेंट कंपनी फिनमैकेनिका ने डील हासिल करने के लिए इंडिया के कुछ नेता और अधिकारियों को रिश्वत दी.’ इसी के बाद डील कराने में तीन दलालों, क्रिस्टियन मिशेल, गाइडो हास्चके और पीटर हुलैट के शामिल होने का पता चला. 2012 में इस मामले को लेकर इटली कोर्ट में केस दर्ज किया गया. भारत तक भी ये खबर पहुंची. उस समय केंद्र में बैठी यूपीए-2 सरकार निशाने पर आई. भारतीय रक्षा मंत्रालय ने रोम में भारतीय दूतावास से रिपोर्ट मांगी. जांच बढ़ती गई और पूरा मामला सामने आने लगा. फरवरी 2013 में अगस्टा वेस्टलैंड की पैरेंट कंपनी फिनमकेनिका के सीईओ ब्रूनो स्पैगनोलिनी को इटली पुलिस ने गिरफ्तार किया. भारत के साथ हुए कंपनी के सौदे को रोक दिया गया. कंपनी पर कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने के लिए करीब 375 करोड़ रुपये रिश्वत में देने का आरोप लगा. इस हिसाब से खरीदे जा रहे 12 में से एक हेलिकॉप्टर रिश्वत में दे दिया गया.
सीबीआई के पास केस
2013 में ये मामला सीबीआई को सौंपा गया. सीबीआई की जांच में पता चला कि कंपनी और भारत सरकार के बीच सौदा कराने के लिए दलाल कुछ कोड-वर्ड इस्तेमाल करते हैं. बताया गया कि ये कोड-वर्ड POL, AF, FAM, BUR हैं. इन्हीं कोडवर्ड्स के जरिए लोगों में रिश्वत बांटी गई. अंदाजा लगाया गया कि POL से पॉलिटिक्ल, AF से एयरफोर्स, FAM से फैनमैकेनिका और BUR से ब्यूरोक्रेट्स था. रिश्वत और हेलिकॉप्टर्स घोटाले में पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी समेत 11 लोगों का नाम आया. सीबीआई ने सभी के खिलाफ जांच शुरू की. सरकार ने 2014 में इस सौदे को रद्द करने की घोषणा कर दी.