पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए में शामिल हो सकते हैं. ऐसी
खबरें कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आ रही हैं. बताया जा रहा है कि जेडीयू के कुछ वरिष्ठ नेताओं की बातचीत बीजेपी से जारी है.
नीतीश के बीजेपी से हाथ मिलाने की खबरों की सबसे बड़ी वजह आरजेडी सुप्रीम लालू प्रसाद यादव से चुके गहरे मतभेद हैं. हालांकि इस खबर की पुष्टि अभी कोई नहीं कर रहा है. लेकिन जिस तरह से नीतीश कुमार नोटबंदी के फैसले की तारीफ और यूपी-उत्तराखंड में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत के बाद उन्होंने बधाई दी थी, उसके बाद से एक बार फिर से चर्चा तेज हो गई है.
आपको बता दें नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू 17 साल तक एनडीए का हिस्सा रह चुकी है. वाजपेयी सरकार में खुद नीतीश कुमार रेलमंत्री रह चुके हैं. लेकिन जब लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना दिया तो वह सांप्रदायिकता के नाम पर गठबंधन से अलग हो गए.
इसके बाद 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से हाथ मिला लिया और कांग्रेस को मिलाकर महागठबंधन बनाने का ऐलान कर दिया. नीतीश कुमार का यह फैसला साबित हुए.
बिहार में बीजेपी की हार हुई और नीतीश कुमार दोबारा मुख्यमंत्री बन गए. दरअसल इस गठबंधन की सफलता की बड़ी वजह कई जातियों का एक साथ आ जाना रहा है. सरकार बनने के साथ ही जेडीयू और आरजेडी नेताओं के सुर मेल नहीं खा रहे थे.
सूत्रों का कहना है कि आरजेडी नेताओं की डिमांड से नीतीश कुमार परेशान है. वहीं लालू प्रसाद यादव बिहार की राजनीति में अपने बेटों को पूरी तरह से फिट करना चाहते हैं लेकिन नीतीश कुमार रहते ऐसा संभव नहीं है.
यही वजह है कि हर रोज जेडीयू और आरजेडी के बीच कई मुद्दों पर मतभेद की खबरें आती रहती हैं. यह तब देखने को मिला लालू सहित पूरा विपक्ष नोटबंदी के फैसले का विरोध कर रहा था तो नीतीश कुमार ने खुल कर पीएम मोदी का समर्थन किया और कहा कि अब सरकार को बेनामी संपत्ति पर भी ऐसा ही फैसला करना चाहिए.