नवरात्र के दूसरे दिन कुछ इस तरह से करें भगवती मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

मां दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है. नवरात्र के दूसरे दिन भगवती मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, अर्चना का विधान है. मां ब्रह्मचारिणी को इस प्रकार आप खुश कर सकते हैं.

Advertisement
नवरात्र के दूसरे दिन कुछ इस तरह से करें भगवती मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

Admin

  • March 29, 2017 3:06 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: मां दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है. नवरात्र के दूसरे दिन भगवती मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, अर्चना का विधान है. मां ब्रह्मचारिणी को इस प्रकार आप खुश कर सकते हैं.
 
इधाना कदपद्माभ्याममक्षमालाक कमण्डलु
देवी प्रसिदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्त्मा
 
साधक एवं योगी इस दिन अपने मन को भगवती मां के श्री चरणों मे एकाग्रचित करके स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं और मां की कृपा प्राप्त करते हैं. ब्रह्म शब्द का तात्पर्य (तपस्या). ब्रह्मचारिणी का तात्पर्य तप का आचरण करने वाली ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप ज्योतिर्मय एवं महान है. मां के दाहिने हाथ में जपमाला एवं बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित रहता है.
 
यहां ब्रह्मचारिणी का तात्पर्य तपश्चारिणी है. इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप से प्राप्त करने के लिए घोप तपस्या की थी. अतः ये तपश्चारिणी और ब्रह्मचारिणी के नाम से विख्यात हैं. नवरात्रि के द्वितीय दिन इनकी पूजा और अर्चना की जाती है. 
 
इनकी उपासना से मनुष्य के तप, त्याग, वैराग्य सदाचार, संयम की वृद्धि होती है तथा मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता. अपने पूर्व जन्म में वे हिमालय (पर्वतराज) के घर कन्या रूप में प्रकट हुई थीं. तब इन्होंने देवर्षि नारद जी के उपदेशानुसार कठिन तपस्या करके भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था.
 
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनोरथ सिद्धि, विजय एवं नीरोगता की प्राप्ति होती है तथा मां के निर्मल स्वरूप के दर्शन प्राप्त होते हैं. प्रेम युक्त की गई भक्ति से साधक का सर्व प्रकार से दु:ख-दारिद्र का विनाश एवं सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
 
इसकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. इस दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है। इस चक्र में अवस्थित मन वाला योगी उनकी कृपा और भक्ति प्राप्त करता है.
 

Tags

Advertisement