नई दिल्ली: सरकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए आधार को अनिवार्य नहीं बना सकती. सुप्रीम कोर्ट ने अपने स्पष्ट आदेश में कहा कि किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए आधार को अनिवार्य नहीं किया जा सकता.
इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि आधार को गैर-लाभकारी योजनाओं में अनिवार्य किए जाने से सरकार को रोका भी नहीं जा सकता. जिनमें बैंकों में खाता खोलने और टैक्स रिटर्न भरने जैसी सेवाएं शामिल हैं. दरअसल पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने करीब 1 दर्जन जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार को अनिवार्य करने का फैसला किया था.
इनमें स्कूलों में बच्चों को मिड-डे मील स्कीम के तहत मिलने वाली सुविधा भी शामिल थी. सरकार के इसी फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गई थी. हालांकि मिड डे मिल पर बाद में सरकार ने छूट देने का फैसला किया था.
‘आधार’ ने पकड़ा बड़ा घोटाला !
दरअसल पिछले दिनों मिड-डे मील योजना को आधार से जोड़े जाने के बाद तीन राज्यों में बड़े घोटाले का पता चला था. इनमें झारखंड, आंध्र प्रदेश और मणिपुर शामिल हैं. आधार लिंक होने के बाद पता चला कि इन तीनों राज्यों में सरकार करीब 4 लाख 40 हजार ऐसे छात्रों के खाने का ब्योरा दर्ज कर रही थी, जो असल में हैं ही नहीं.
मतलब ये कि ये सभी छात्र सिर्फ कागजों पर ही थे. आंध्र प्रदेश में ऐसे कागजी छात्रों की संख्य़ा 2 लाख 10 हजार थी. इसके अलावा झारखंड में 2 लाख 20 हजार कागजी छात्रों को स्कूलों में खाना खिलाने का फरेब चल रहा था. मणिपुर में भी ऐसे ही 1500 छात्रों के नाम पर स्कूल घोटाला कर रहे थे.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि आधार को मोदी सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का औजार बनाना चाहती है. खासकर सब्सिडी के नाम पर चल रहे खेल को रोकने में इसका फायदा भी मिला है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब सरकार के सामने एक ही विकल्प है. वो या तो आधार को सरकारी योजनाओं के लिए अनिवार्य बनाने की खातिर संवैधानिक मान्यता दिलाए, या फिर आधार को वैकल्पिक बनाए.