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नवरात्र में नैनीताल के नैना देवी मंदिर में उमड़ती है भारी भीड़, ये है मान्यता

नवरात्रों के शुरू होते ही देश भर के सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगती है. ऐसे ही 52 शक्ति पीठों में से एक नैनीताल की नैना देवी मंदिर में भी भक्तों की भीड़ उमड़ जाती है. नैनी सरोवर से लगे नैना देवी मंदिर में श्रद्धालु मां की पूजा अर्चना बड़े धूमधाम से करते हैं.

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  • March 27, 2017 5:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नैनीताल: नवरात्रों के शुरू होते ही देश भर के सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगती है. ऐसे ही 52 शक्ति पीठों में से एक नैनीताल की नैना देवी मंदिर में भी भक्तों की भीड़ उमड़ जाती है. नैनी सरोवर से लगे नैना देवी मंदिर में श्रद्धालु मां की पूजा अर्चना बड़े धूमधाम से करते हैं.
 
मान्यताओं के अनुसार मां सती के शरीर के छिन्न भिन्न होने के बाद उनकी बाईं आंख यहां गिर गई थी. जिसके बाद नैना देवी मंदिर और नैनी सरोवर की महत्ता बहुत अधिक हो गयी. देश के 52 शक्ति पीठों में से एक नैना देवी शक्ति पीठ की मान्यता बहुत अधिक है. श्रद्धालुओं कहते हैं कि इस मंदिर में विराजमान साक्षात मां अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करती है. मां के दर्शनों के लिए यहां भक्त दूर-दूर से आते हैं और मां के दर्शन करते हैं.
 
भक्तों का उद्धार
यहां नवरात्र को पवित्र मानते हुए न केवल स्थानीय लोग पहुंचते हैं बल्कि दूर दराज के क्षेत्रों से भी पर्यटक इस मंदिर में अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. लोगों का कहना है कि यहां विराजमान मां भी अपने भक्तों का उद्धार करने में कहीं पीछे नहीं रहती है और उनकी मनोकामना पूरी करती है. शारदीय नवरात्रि के पहले दिन नैनीताल के मां नयना देवी मंदिर में श्रद्धालू पूजा अर्चना के लिये पहुंचते हैं. 
 
यज्ञ में कूदी पार्वती
मान्यता है कि देवी सती की आंख यहां गिरी थी और इसी के बाद यहां मां नयना देवी की स्थापना हुई. देवी पार्वती का पार्थिव शरीर खंडित होने के बाद उनकी बांयी आंख यहां गिरी थी. पुराणों में लिखा है कि देवी पार्वती के पिता दक्ष प्रजापति के जरिए जब विशाल यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया गया तो इस कदम से खिन्न होकर देवी पार्वती यज्ञ के हवन कुण्ड में कूदकर सती हो गई.
 
ऐसे पड़ा नाम
जिससे दुखी भगवान शिव ने देवी पार्वती का पार्थिव शरीर लेकर ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाने शुरू कर दिए. सृष्टि का सन्तुलन बिगड़ने से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया. तब सृष्टि के संरक्षक भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शव के खंड खंड कर दिए. इससे पार्वती की बांयी आंख देश के इसी हिस्से में गिरी और इस देवी का नाम नयना देवी रखा गया.

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