नई दिल्ली: इस हफ्ते हिंदूस्तान से लेकर पाकिस्तान तक एक ही नाम छाया रहा वो है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. योगी को यूपी का नया सीएम बनाने का ऐलान जितना चौंकाने वाला रहा उससे कहीं ज्यादा था उनके राज-काज का अंदाज. बेलगाम नौकरशाही और बेलगाम पुलिस और बढ़ती अराजकता के लिए कुख्यात यूपी को बदलने का एक्शन शुरू हो चुका है. अपने एक्शन से योगी ने दिखा दिया है कि उनके पास सरकार चलाने का अपना विजन है, मिशन है और अपना ही एक्शन है.
19 मार्च 2017 को योगी ने यूपी के नए सीएम के तौर पर शपथ ली. ये यूपी की राजनीति में सबसे अनोखे अध्याय की शुरूआत थी. योगी संविधान की शपथ ले रहे थे कि वे सीएम के तौर पर वह बिना किसी राग, द्वेष अथवा बिना किसी अनुराग के साथ काम करेंगे. जो लोग योगी की राजनीति से वाकिफ थे उनके मन में पहला सवाल यही था कि क्या कट्टर हिंदुत्व का युवा सन्यासी योगी आदित्यनाथ इस शपथ की निभा पाएंगे.
इसका जवाब लोगों की उम्मीद से बहुत पहले मिला जब योगी ने बिना बोले अपना एजेंडा लागू करना शुरू किया. ये एजेंडा हिंदुत्व नहीं था. ये एजेंडा था सुशासन का. जिसकी शुरूआत हुई यूपी के सचिवालय भवन एनेक्सी से.
योगी आदित्यनाथ का ऑफिस इस भवन में पांचवे फ्लोर पर है और आदित्यनाथ से पहले ज्यादातर मुख्यमंत्री इस भवन के उपर-नीचें भी नहीं देखते थे. लेकिन योगी आदित्यनाथ ने इस भवन का कोना-कोना देखा. इसका इशारा साफ था कि काम काज में सुधार और बदलाव लाना होगा. काम-काज को बेहतर बनाना होगा. बतौर सीएम योगी की पहली चुनौती यही है कि उन्हें साफ-सुथरा सुशासन देना है. इसलिए योगी ने सचिवालय के कोने-कोने की सफाई का फरमान सुनाया.
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