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नए ओबीसी आयोग मिलेगा संवैधानिक दर्जा, बिना संसद की मंजूरी के नहीं मिलेगा आरक्षण

नई दिल्ली. पिछड़ी जातियों को लेकर बनाए गए नेशनल कमीशन फॉर सोशली एंड एजुकेशनली बैकवर्ड क्लासेज (NSEBC) को संवैधानिक मान्यता देने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है.

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  • March 24, 2017 9:24 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. पिछड़ी जातियों को लेकर बनाए गए नेशनल कमीशन फॉर सोशली एंड एजुकेशनली बैकवर्ड क्लासेज (NSEBC) को संवैधानिक मान्यता देने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है.
यह आयोग पुराने ओबीसी आयोग की जगह लेगा. इसके अलावा अब किसी भी जाति को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण देने या इसमें परिवर्तन  के लिए संसद से मंजूरी लेनी होगी.
केंद्र सरकार के मुताबिक यह फैसला ओबीसी में आरक्षण को लेकर बढ़ती मांग के चलते किया गया है. वहीं केंद्र सरकार के इस फैसलो को यूपी विधानसभा चुनाव में मिली बंपर जीत से भी जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें ओबीसी वोटरों का बड़ा हाथ रहा है.
केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मौजूद आयोग के पास 189 जातियों की ओर से ओबीसी में शामिल करने की मांग थी लेकिन आयोग तय नहीं कर पा रहा था.
बीरेंद्रे सिंह ने कहा कि इसे संवैधानिक दर्जा मिल जाने पर अब यह बेहतर तरीके से काम कर सकेगा. गौरतलब है कि इस समय हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आरक्षण को लेकर जाटों का आंदोलन चल रहा है.
हालांकि सरकार के इस फैसले पर राजनीतिक दलों की अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है. कांग्रेस के सांसद और राष्ट्रीय अनूसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष, पीएल पुनिया ने कहा कि अभी तक आयोग पिछड़ी वर्ग की जातियों से जुड़ी समस्याएं सुन नहीं सकता था लेकिन संवैधानिक मान्यता मिल जाने के बाद अब वह सुनवाई भी कर सकेगा.
वहीं राज्यसभा सांसद डॉ. रामगोपाल यादव ने कहा कि यह पिछड़ी जातियों के अधिकारों के खिलाफ है.
बिल को संसद में किया जाएगा पेश
सरकार के उच्चाधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि नए ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए संविधान में संशोधन किया जाएगा. ये बिल संसद में पेश होगा. 
आपको बता दें कि संविधान में संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों में सरकार के पास दो तिहाई बहुमत होना चाहिए इसके बाद 50 फीसदी राज्य सरकारों की भी इसमें मंजूरी होनी चाहिए.

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