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काल सर्प योग से पाना है छुटकारा तो इस मंदिर में मिलेगा समाधान

आपकी भी जन्म पत्रिका में अगर काल सर्प का योग है तो चिंता करने की जरूरत नहीं है, आज हम आपके लिए इसका समाधान लेकर आए हैं, खबर पढ़कर जानें कैसे मिलेगा आपको काल सर्प से छुटकारा.

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  • March 23, 2017 5:45 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
उत्तराखंड : आपकी भी जन्म पत्रिका में अगर काल सर्प का योग है तो चिंता करने की जरूरत नहीं है, आज हम आपके लिए इसका समाधान लेकर आए हैं, उत्तरकाशी सीमा पर सेम नागराज जी का एक मंदिर है जहां आपको इसका समाधान मिल सकता है.
 
यहां इस रूप में पूजे जाते हैं भगवान श्री कृष्ण 
 
इस मंदिर में श्री कृष्ण की नागराज के रूप में पूजा अर्चना की जाती है, यहां के एक पुजारी ने इस बात का दावा किया है की यहां के जल से स्नान करने पर लोगों को कुष्ठ रोग से मु्क्ति मिलती है.
 
 
क्या आप जानते हैं सेमनगरज मंदिर से जुड़ी ये जानकारी ?
 
उत्तराखंड में सेमनगरज मंदिर को पांचवा धाम माना गया है. पुराणों में इस बात का जिक्र किया गया है की द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका छोड़  उत्तराखंड के रमोलागढ़ी में आकार यहां मंदिर में मूर्ति रूप में स्थापित हो गए थे. कालिया नाग को दर्शन देने की अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए उन्हें ऐसा करना पड़ा था.
 
जानें कैसे शुरू हुई ये कहानी
 
ये कहानी उस वक्त शुरू हुई जब कृष्ण बाल रूप में यमुना किनारे अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे, इस दौरान उनकी गेंद यमुना के जल में गिर गई जिसे लेने के लिए बालक कृष्ण यमुना में कूद गए. काफी समय तक वह जब बाहर नहीं आए तो उनके दोस्त डर कर नंद बाबा को इस बात की सूचना के लिए दौड़े क्योंकि यमुना का जल उस समय कालिया नाग के विष के प्रभाव से विषैला हो चुका था. 
 
नंद बाबा पूरे गोकुल गांव के साथ यमुना के किनारे एकत्र हो गए लेकिन किसी को भी कृष्ण के जीवित होने की उम्मीद नहीं थी पर कुछ देर बाद अपनी गेंद के साथ कालिया नाग के फन पर नृत्य करते हुए कृष्ण यमुना से बाहर निकाल आए. जिसके बाद गोकुल वासी सभी लोगों ने श्रीकृष्ण की जय जय कार की थी.
 
 
यहां जानिए कृष्ण के साथ यमुना में क्या हुआ था?
 
जैसे ही कृष्ण यमुना के जल में उतरे उनका सामना कालिया नाग कि पत्नी से हुआ जो उन्हें साधारण बालक समझकर उन्हें विष से बचने की हिदायत देते हुए वापस लौटने के लिए कहती है, किंतु वह बिना गेंद लिए वापस आने को तैयार नहीं होते. उनकी इस बात की जानकारी वह अपने पति कालिया नाग को देती है. 
 
क्रुद्ध होकर फुंकार मारते हुए कालिया नाग बाहर आते है और श्री कृष्ण से युद्ध करते हैं और अंत में कृष्ण के हाथों परास्त होते हैं जिसके बाद भगवान कृष्ण कालिया नाग को यमुना से निकल जाने का आदेश देते हैं. 
 
 
घायल हुए कालिया नाग ने कृष्ण से पूछा ये सवाल
 
कालिया नाग ने पूछा की आखिर वह कहां जाएं जहां वह शांति से रह सके और उनके विष का दुसप्रभाव भी न हो उस वक्त भगवान कृष्ण ने उन्हें उत्तराखंड के रमोलीगढ़ में जाने का आदेश दिया था. तब कालिया नाग भगवान को एक बार वहीं आकार उन्हें दर्शन देने की विनती करते हैं और कृष्ण उन्हें भरोसा देते हैं की वह एक बार जरूर उसे दर्शन देने उत्तराखंड आएंगे. इसी भरोसे को रखने के लिए द्वापर में श्रीकृष्ण उत्तराखंड में ब्राह्मण के वेश में पहुंचे थे. 
 
 
पढ़ें प्रकटेश्वर मंदिर की इस मान्यता के बारे में 
 
ऐसी मान्यता है की प्रकटेश्वर मंदिर के पास बहने वाले जल से त्वचा के सभी रोग दूर होते हैं, खासकर कुष्ट रोग दूर होने के दावा किया जाता है. मंदिर के पुजारी की माने तो कुंडली में काल सर्प योग का निवारण भी यहां नाग की पुजा से दूर हो जाता है. राहू और केतू गृह के बीच सभी गृह पड़ने से ऐसे स्थिति आती है तब इंसान को जी तोड़ मेहनत के बाद भी फल नहीं मिलता है और इंसान परेशान रहता है.

 

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