सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्तर की सभी राजनीतिक पार्टियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि उन्हें सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में लाने के लिए क्यों न उन्हें सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में देखा जाए? सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए राजनीतिक पार्टियों को नोटिस जारी किए हैं.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्तर की सभी राजनीतिक पार्टियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि उन्हें सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में लाने के लिए क्यों न उन्हें सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में देखा जाए? सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए राजनीतिक पार्टियों को नोटिस जारी किए हैं.
याचिका में कहा गया है कि सभी राजनीतिक पार्टियों को आरटीआई के तहत जवाबदेह बनाया जाना चाहिए, क्योंकि देश से जुड़े सभी मामलों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. एडीआर की तरफ से मामले की वकालत कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने न्यायालय से कहा कि सरकार के गठन, राजनीतिक फैसलों, कानून के अधिनियमन और समाज एवं देश पर दूरगामी प्रभाव डालने से संबंधित मामलों में राजनीतिक पार्टियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
प्रशांत भूषण ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को विभिन्न स्रोतों से जो अनुदान मिलता है, उस पर सरकार कर नहीं लेती है और इस तरह से सरकार भी उन्हें आर्थिक अनुदान देती है. भूषण ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को अपनी आय के स्रोतों का खुलासा करना चाहिए, चाहे वह 20,000 रुपये तक का ही क्यों न हो जबकि मौजूदा प्रावधानों के अनुसार राजनीतिक पार्टियां 20,000 रुपये तक की वित्तीय मदद देने वाले स्रोतों का भी खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं हैं.
IANS