नई दिल्ली: कुश्ती की सभी शैलियों में 8 के बजाय दस वजन श्रेणियों को मंजूरी मिल गई है और नई व्यवस्था के तहत प्रतियोगिता का दो दिन का फॉर्मेट तय किया गया है. यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के तकनीकी आयोग और ब्यूरो सदस्यों ने इस आशय के पक्ष में मतदान करके यह फैसला लिया.
एक जनवरी से प्रभावी
यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग की ओर से स्पष्ट किया गया है कि कुश्ती से जुड़े तमाम आयोगों, राष्ट्रीय खेल संघों, ब्यूरो सदस्यों और खिलाड़ियों से इस बारे में मिली सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए बैलेंस बनाने की कोशिश की गई है. सीनियर, अंडर 23 और जूनियर स्तर के मुक़ाबलों के लिए वजन श्रेणियां कौन सी होंगी, इसके बारे में पेरिस में होने वाली वर्ल्ड चैम्पियनशिप में फैसला लिया जाएगा. नए वजन एक जनवरी, 2018 से प्रभावी होंगे.
जुलाई में होगी टेस्ट इवेंट
दो दिन की प्रतियोगिता का फॉर्मेट जुलाई में होने वाली यूरोपीय कैडेट और सितम्बर में होने वाली वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप में ट्रायल के तौर पर शामिल किया जाएगा. यदि ये प्रयोग सफल रहा तो इसे एक जनवरी, 2018 से प्रभावी कर दिया जाएगा. दो दिन की प्रतियोगिता के फॉर्मेट के अनुसार पहलवानों के वजन सुबह आयोजित किए जाएंगे. इस समय वजन वाले दिन ही कुश्ती के मुक़ाबले समाप्त हो जाते हैं लेकिन नई व्यवस्था के अनुसार दूसरे दिन रेपिचेज़ राउंड, सेमीफाइनल और फाइनल के मुक़ाबले होंगे.
लालोविच का पक्ष
यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के अध्यक्ष नेनाद लालोविच ने कहा कि कुश्ती में इन कदमों से किए गए सुधार काबिलेतारीफ हैं. इन कदमों से खिलाड़ियों की ज़्यादा भागीदारी होगी और दर्शक संख्या में भी बढ़ोतरी होगी. उन्होंने यह भी कहा कि इन सुधारों से खासकर स्वस्थ पहलवानों को ज़्यादा मदद मिलेगी.
सालाना रैंकिंग
वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भाग लेने वाले प्रतियोगियों की मदद के लिए ब्यूरो ने वर्ष भर के लिए रैंकिंग बनाने का पुरजोर समर्थन किया है जिसके अंतर्गत वर्ल्ड चैम्पियनशिप में पहले चार स्थानों पर रहने वालों को टॉप चार रैंकिंग दी जाएंगी. 2017 की वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए पहलवानों की रैंकिंग बनाने के लिए रियो ओलिम्पिक, 2016 की वर्ल्ड चैम्पियशिप और 2017 की महाद्वीपीय चैम्पियनशिप के प्रदर्शन को आधार बनाया जाएगा.
अगले वर्ष से खिलाड़ी के अतिरिक्त अंक हासिल करने वाले टूर्नामेंटों को भी अहमियत दी जाएगी. यानी किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में ज़्यादा अंक अर्जित करने वाले पहलवान के प्रदर्शन का असर महाद्वीपीय और वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भाग लेने वाले देशों के प्रदर्शन पर दिखाई देगा.
अटैकिंग कुश्ती को बढ़ावा
इसके अलावा ब्यूरो ने कुछ नियमों में मामूली परिवर्तनों को भी हरी झंडी दिखा दी है. इसके अंतर्गत पैसिव यानी धीमा लड़ने वाले पहलवान को दंडित करने और तेज़ लड़ने वाले को बढ़ावा दिया जाएगा. अगले सप्ताह हंगरी में होने वाली अंडर 23 यूरोपीय चैम्पियनशिप में इस नियम को टेस्ट के तौर पर रखा जाएगा. इसके अलावा ग्रीकोरोमन कुश्ती में दी जाने वाली `पार तेरे` पोज़ीशन का अध्ययन अगली दो यूरोपीय प्रतियोगिताओं में किया जाएगा. वहां तकनीकी आयोग की तुरंत समीक्षा इससे अगला कदम होगा.
डोपिंग पर सख्ती
डोपिंग के नियमों को भी सख्त किया गया है. 2018 से किसी भी पहलवान के टीम प्रतियोगिता (वर्ल्ड कप) में डोप टेस्ट में पॉज़ीटिव पाए जाने का असर पूरी टीम के परिणाम पर पड़ेगा.
ज़्यादा कैमरों का प्रयोग
बड़ी प्रतियोगिताओं के दौरान मैट के किनारों पर और कैमरा लगाने के अनुरोध को भी स्वीकृति दे दी गई है. रेफरी को किसी चैलेंज की समीक्षा करने के लिए अतिरिक्त कैमरे मुहैया कराने के अनुरोध को भी मान लिया गया है जिससे कुश्ती प्रेमियों को मुक़ाबले देखने का बेहतर अनुभव मुहैया कराया जा सके.