नई दिल्ली: यूपी के सीएम के लिए मनोज सिन्हा का नाम लगभग तय हो गया है. सूत्रों की मानें तो मनोज सिन्हा के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति है, कल शाम 5 बजे बीजेपी विधायक दल की बैठक होनी है और कल ही मनोज सिन्हा के नाम का ऐलान हो जाएगा. मनोज सिन्हा यूपी के गाजीपुर से सांसद हैं और रेल राज्यमंत्री हैं.
किस बात की बधाई सिन्हा साहब ?
मनोज सिन्हा को अचानक बधाई देने लपके या फिर कबूल करने ये कोई समझ नहीं पाया लेकिन श्रीकांत शर्मा के हाव-भाव बता रहे थे मानो वो यूपी के भावी मुख्यमंत्री को बधाई दे रहे थे. हालांकि मनोज सिन्हा अपने सीएम बनने के कयासों को खारिज करते रहे
इन सबके बावजूद मनोज सिन्हा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे हैं. शनिवार को विधायकों की बैठक में सीएम के नाम पर औपचारिक मुहर लगेगी. वहीं, 19 मार्च को शाम साढ़े चार बजे नई सरकार का शपथग्रहण होगा जिसमें पीएम और अमित शाह मौजूद रहेंगे.
मनोज सिन्हा पर मुहर की संभावना
उत्तराखंड में एक ठाकुर को सीएम के लिए चुने जाने के बाद यूपी में किसी ठाकुर को सीएम बनाए जाने की संभावना कम हो गई थीं. इस लिहाज से भी मनोज सिन्हा की संभावना बढ़ गई हैं. गाजीपुर से दो बार सांसद रहे मनोज सिन्हा की पूर्वांचल पर अच्छी पकड़ है. प्रधानमंत्री मोदी का लोकसभा क्षेत्र वाराणसी भी गाजीपुर के करीब है. पूर्वांचल से यूपी विधानसभा की 89 सीटें आती हैं.
मनोज सिन्हा को सीएम बनाकर बीजेपी पूर्वांचल के साथ ही पूर्वांचल से सटे बिहार के कई जिलों पर भी अपना प्रभाव जमा सकती है. इसके अलावा लो-प्रोफाइल और विवादों से परे रहने वाली उनकी छवि उन्हें मोदी-शाह के पसंद के तौर पर उन्हें सामने ला रही है.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि यूपी में मुख्यमंत्री पद के लिए जितने भी नामों की चर्चा हुई, उनमें मनोज सिन्हा राजनीतिक समीकरण, छवि और प्रशासनिक अनुभव के मामले में सबसे आगे हैं. मनोज सिन्हा के अलावा सीएम पद के लिए जितने भी नाम चर्चा में हैं, वो या तो ठाकुर जाति के हैं या फिर पिछड़े.
उत्तराखंड में टीएस रावत को सीएम बनाने के बाद बीजेपी यूपी में किसी ठाकुर को सरकार की कमान सौंपकर कोई गलत संदेश नहीं देना चाहती. पिछड़ी जाति के केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ चल रहे मुकदमे मुसीबत बन सकते हैं, तो स्वतंत्र देव सिंह पटेल के पास कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं है. अब बचे मनोज सिन्हा तो रेल राज्यमंत्री के रूप में उनके शानदार प्रदर्शन से खुश होकर ही मोदी ने उन्हें संचार मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा.
मनोज सिन्हा भूमिहार बिरादरी के हैं, जो यूपी में भले ही संख्या में कम हो, लेकिन बिहार में भूमिहारों की आबादी करीब 6 फीसदी है यानी मनोज सिन्हा अगर यूपी के सीएम बनते हैं ना तो सिर्फ पूर्वांचल को वीर बहादुर सिंह के बाद 31 साल बाद दूसरा सीएम मिलेगा, बल्कि इसका सकारात्मक असर 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार पर भी पड़ेगा.