उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड में बीजेपी को तलाश है ‘रोबोट सीएम’ की !

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी को ‘रोबोट सीएम’ चाहिए. सुनकर आपको हैरानी जरूर हो रही होगी लेकिन बीजेपी के अंदर मंंथन इसी बात को लेकर चल रहा है. दरअसल रोबोट सीएम का मतलब ऐसे मुख्यमंत्री से है दो दिन-रात एक कर काम करे और 15 महीने के अंदर विधानसभा चुनाव प्रचार के […]

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उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड में बीजेपी को तलाश है ‘रोबोट सीएम’ की !

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  • March 16, 2017 6:55 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी को ‘रोबोट सीएम’ चाहिए. सुनकर आपको हैरानी जरूर हो रही होगी लेकिन बीजेपी के अंदर मंंथन इसी बात को लेकर चल रहा है.
दरअसल रोबोट सीएम का मतलब ऐसे मुख्यमंत्री से है दो दिन-रात एक कर काम करे और 15 महीने के अंदर विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी की ओर से किए गए वादों को पूरा कर डाले.
फिर चाहे वह कर्ज माफी के लिए किसानों की पूरी लिस्ट का मामला, पुराने नलकूप बदलने का मुद्दा हो, गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य हो, कानून व्यवस्था, खाली पड़े नौकरियों के पद भरना जैसे वादे हों.
कुछ वादे ऐसे हैं जो एक साल में पूरे नहीं हुए तो 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ी मुश्किल हो सकती है. ऐसे में कड़़ी मेहनत करने वाला मुख्यमंत्री ही इतने बड़े जनादेश की उम्मीदों को संभाल सकता है.
इसके साथ ही केंद्र की ओर से चलाई जा रही योजनाओं को भी राज्य में धरातल पर उतार सके. इसके लिए अफरशाही को भी फिर से कसना होगा.
यूपी में मुख्यमंत्री के लिए क्या हो सकते हैं पैमाना
1- किसी भी तरह के जातिवाद से परे हो.
2- भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद से भी दूर हो.
3- कड़ी मेहनत करने वाला हो कम से कम 18 घंटे तक काम करने की क्षमता हो.
4- अफरशाही पर लगाम लगाने के लिए अनुभव हो.
5- केंद्र की योजनाओं को धरातल पर उतारने का माद्दा हो.
अभी तक ऐसा लग रहा है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है. जनता का यह फैसला अब बीजेपी के लिए ही सरदर्द साबित हो रहा है.
यूपी में बीजेपी को जहां 312 सीटें और सहयोगी अपना दल को मिला  दें तो यह आंकड़ा 325 तक पहुंच जाता है. वहीं उत्तराखंड में बीजेपी को 70 में से 57 सीटें मिली हैं.
जाहिर इतने बड़े बहुमत के पीछे सिर्फ किसी खास वर्ग या समुदाय का योगदान नहीं है.  समाज के सभी लोगों ने इस बार बीजेपी को वोट दिया है.
खासकर गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव दलित वर्ग ने. बीजेपी को अभी तक परंपरागत तौर पर अगड़ी जाति का पार्टी माना जाता रहा है और सिर्फ सवर्णों का ही वोट मिला होता तो आसानी से सीएम चुना जा सकता था.
दिल्ली में संसदीय बोर्ड की बैठक 
दिल्ली में बीजेपी के संसदीय बोर्ड की बैठक  खत्म हो गई है. लेकिन अभी तक दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लेकर कुछ भी पक्का नहीं किया जा सका है.

 

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