नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में मिली प्रचंड जीत के बाद लोकसभा ही नहीं बल्कि राज्यसभा में भी बीजेपी के बहुमत में आने का रास्ता साफ हो गया है. साथ ही ये भी तय हो गया है कि बीजेपी अपनी पसंद के व्यक्ति को राष्ट्रपति उम्मीदवार बना सकती है. पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के लिए ये खुशी की खबर है लेकिन पीएम मोदी के लिए ये चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा.
मुरली मनोहर जोशी से राजनीति के गुर सीखते थे पीएम मोदी
आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी दोनों ही पीएम मोदी के मार्गदर्शक रहे हैं. दिल्ली में शुरूआती दिनों में पीएम मोदी शाम को ज्यादातर मुरली मनोहर जोशी के साथ बिताते थे और वो उन्हें राजनीति के गुर सिखाते थे. साल 1992 में जब जोशी ने श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया उस वक्त पीएम मोदी उनके साथ थे.
दूसरी तरफ संकट के समय आडवाणी ने पीएम मोदी का साथ दिया. पीएम मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाने में आडवाणी का बहुत बड़ा हाथ है.
किसे गुरु दक्षिणा देंगे पीएम?
बड़ा सवाल ये है कि क्या पीएम मोदी अपने राजनीतिक गुरू और मार्गदर्शक को राष्ट्रपति बनाकर गुरु दक्षिणा देंगे? राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के पद पर आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की नियुक्ति होगी?
जुलाई में खत्म हो रहा है राष्ट्रपति का कार्यकाल
गौरतलब है कि जुलाई में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का बतौर राष्ट्रपति कार्यकाल खत्म हो रहा है वहीं अगस्त में उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल खत्म हो रहा है. ऐसे में बीजेपी में अगले संभावित राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के नामों को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है.
एनडीए में इन नामों पर चर्चा
आडवाणी और जोशी के अलावा संभावित नामों में लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, झारखंड के गवर्नर द्रौपदी मुर्मा, बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविड़, सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत, सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वैंकेया नायडू, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राज्यसभा में नॉमिनेटेड सदस्य नरेंद्र जाधव के नाम की चर्चा है.
ये है वोटो का समीकरण
बीजेपी और उसकी सहयोगी अपना दल ने यूपी की 403 सीटों में से 321 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं उत्तारखंड की 60 में से 57, मणिपुर में गंठबंधन के साथ 30 और गोवा में 13 सीटें हासिल की है. इससे बीजेपी ने इलेक्टोरियल कॉलेज में 549442 वोटों के आंकड़े को आधा कर दिया है.
बीजेपी गठबंधन को अपना राष्ट्रपति चुनने के लिए सिर्फ 25,354 वोटों की कमी है. चुनाव परिणाम से पहले एनडीए को 79,274 वोटों की कमी थी.