SP के खिलाफ अमर सिंह ने निकाली भड़ास, कहा- दोबारा जूता खाने पार्टी में नहीं जाऊंगा

यूपी का जनादेश आ चुका है और जनता ने बीजेपी को पंचड़ बहुमत से जिताया है वहीं समाजवादी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी की हार और बीजेपी की जीत पर इंडिया न्यूज से खास बातचीत की.

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SP के खिलाफ अमर सिंह ने निकाली भड़ास, कहा- दोबारा जूता खाने पार्टी में नहीं जाऊंगा

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  • March 11, 2017 4:59 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: यूपी का जनादेश आ चुका है और जनता ने बीजेपी को पंचड़ बहुमत से जिताया है वहीं समाजवादी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी की हार और बीजेपी की जीत पर इंडिया न्यूज से खास बातचीत की. 
 
उन्होंने कहा ”समाजवादी पार्टी ना मैने पहली बार छोड़ी थी और ना ही दूसरी बार छोड़ी. पहली बार मुझे रामगोपाल यादव के दवाब में मुलायम सिंह यादव ने निकाला. दूसरी बार रामगोपाल और अखिलेश यादव ने दवाब डाला कि मुझे लिया ही नहीं जाए. अब मैं दोबारा जूता खाने समाजवादी पार्टी में नहीं जाउंगा” अगर हम साथ में चुनाव लड़ पाते तो इतनी खराब हालत नहीं होती. जितना बुरा मेरे साथ कर सकते थे उतना बुरा मेरे साथ हो चुका है. मुलायम सिंह और हम मिलकर लड़ते तो 120-125 सीटें जरूर मिल जाती. 
 
पार्टी में लेने के बाद दवाब डाला जाने लगा कि मुझे पार्टी से बाहर निकाल दिया जाए. स्थिति ये आई कि मुलायम सिंह यादव ने मुझे विदेश जाने को कहा. पहली बार मैं समाजवादी पार्टी का ऐसा राष्ट्रीय महासचिव बना जिसे पार्टी की रजत जयंती समारोह में जाने से रोक दिया गया.
 
आगे उन्होंने कहा ‘ मैं विदेश चला गया और जब वापस लौटा तो पता चला कि खलनायक का ठीकरा मेरे सिर पर फोड़ दिया गया है. पहला अपराध मुझसे ये हुआ कि मैने नोटबंदी का समर्थन कर दिया. मैने अपने ड्राइवर से पूछा नोटबंदी कैसे है तो उसने बताया कि इससे तो सेठों को परेशानी होगी. हमें कोई दिक्कत नहीं.’
 
‘मोदी जी का ये कदम इंदिरा जी के गरीबी हटाओ आंदोलन से एक कदम ऊपर था. उज्जवल योजना से गैस घर पर पहुंच गया. बैंक में अकाउंट खुलने लगे. 
 
जब मैने सच्चाई बोलनी शुरू की तो मुझे बीजेपी का दलाल कहा गया क्योंकि मैं पार्टी से निष्कासित था. यही बात जब नीतीश कुमार ने कही तो उन्हें कुछ नहीं कहा गया.  
 
सिद्धू जबतक बीजेपी में थे तबतक सांप्रदायिक थे अब जब उन्हें कांग्रेस का हाथ थाम लिया तो वो धर्मनिर्पेक्ष हो गए. दो दिन पहले तक अखिलेश यादव कह रहे थे हमें साइकिल भी चाहिए, राहुल जी का हाथ भी चाहिए और बुआ के हाथी पर भी बैठूंगा और देखिए कुछ नहीं हुआ. मैने पहले भी कहा था कि बीजेपी भारी मतों से जीत रही है. 
 

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