चंडीगढ़: पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) का डेब्यू दमदार रहा लेकिन एक को छोड़ कर सारे एग्जिट पोल उसे बहुमत से पीछे दिखा रहे हैं. सिर्फ एक एग्जिट पोल ने दिखाया है कि सूबे में AAP की सरकार बन रही है. पहली बार पंजाब चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी ने हर किसी को हैरान कर दिया. एग्जिट पोल के नतीजों में केजरीवाल की पार्टी सत्ता की चौखट तक जाती जरूर नजर आ रही है. लेकिन बहुमत की दहलीज पार करती नहीं दिखती.
इंडिया न्यूज MRC एग्जिट पोल
इंडिया न्यूज MRC के एग्जिट पोल में आम आदमी पार्टी को पंजाब में 55 सीटें मिलने का अनुमान है, यानी बहुमत से 4 सीटें कम. इंडिया टुडे- एक्सिस के एग्जिट पोल में पार्टी को 42-51 सीटें मिलने का अनुमान है. जबकि न्यूज़ 24- टुडेज चाणक्या के एग्जिट पोल में आप को 54 सीट मिलती नजर आ रही हैं. हालांकि इंडिया टीवी- सी वोटर के एग्जिट पोल में पार्टी को बहुमत से ज्यादा यानी 59-67 सीटें मिलने का अनुमान है. इन सबका औसत निकालने पर 54 सीटें आती हैं जो बहुमत से 5 सीटें कम हैं.
पंजाब में AAP के पक्ष में क्या गया ?
आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली की जीत का फॉर्मूला ही पंजाब में भी काम किया. पार्टी ने यहां नशे के व्यापार का मुद्दा सीधे-सीधे बादल सरकार से जोड़ने की कोशिश की. भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर भी केजरीवाल ने बादल परिवार को घेरा. पंजाब में आम आदमी पार्टी के लुभावने वादों वाला चुनावी मैनिफेस्टो भी काफी हद तक कारगर रहा. जिसमें किसानों की कर्ज माफी और 5 रुपए में खाना देने का वादा किया गया था.
एक महीने के भीतर पंजाब को ड्रग्स मुक्त करने का भी वादा मैनिफेस्टों में किया गया था. इसके अलावा पार्टी ने अपने उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं की अलग अलग इलाकों में ड्यूटी लगाई. ताकि वो नशे के आदी लोगों के आंकड़े इकट्ठा करें. इस अभियान ने भी पार्टी को जमीनी स्तर पर पहुंचने में मदद की.
पंजाब में AAP के लिए संकेत
अगर आम आदमी पार्टी ने पंजाब में बेहतर प्रदर्शन किया तो 2019 से पहले उसे दूसरे राज्यों में अपना दायरा बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक कद और बढ़ेगा. इसके अलावा गुजरात चुनाव में उतने की तैयारी कर रही पार्टी का मनोबल और बढ़ेगा.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी ने अपनी चुनावी तैयारियां लोकसभा चुनाव के फौरन बाद शुरू कर दी थीं. पंजाब में लोकसभा की 4 सीटें जीतने के बाद अरविंद केजरीवाल ने मान लिया था कि पंजाब उनके लिए दूसरी दिल्ली साबित होने जा रही है.
इसी अति आत्मविश्वास के चलते आम आदमी पार्टी के दिल्ली वाले नेताओं ने पंजाब में पार्टी को अपने हिसाब से चलाना शुरू किया, जिससे पंजाब में आम आदमी पार्टी के नेताओं की बगावत भी झेलनी पड़ी. हालांकि एग्जिट पोल के अनुमान देखने के बाद अब आम आदमी पार्टी को लग रहा है कि अगर चुनाव से ठीक पहले पार्टी को एकजुट रख पाते तो दो तिहाई बहुमत मिल सकता था.